Utpanna Ekadashi:उत्पन्ना एकादशी व्रत का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों का नाश होता है। इस दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे सभी Utpanna Ekadashi एकादशी व्रतों की जननी भी कहा जाता है। Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी के व्रत में विशेष नियम और विधि का पालन करना आवश्यक है। यहां पर हम उत्पन्ना एकादशी व्रत की विधि, नियम, पूजा सामग्री और इससे जुड़े कुछ खास बातों पर चर्चा करेंगे।
Utpanna Ekadashi:उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व
उत्पन्ना एकादशी Utpanna Ekadashi का उल्लेख पुराणों में मिलता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु की शक्ति और भक्ति से देवी एकादशी का जन्म हुआ था, जिन्होंने मुर दैत्य का वध कर भगवान विष्णु को राक्षस के भय से मुक्त किया। इसलिए इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। माना जाता है कि Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने वाला भी है।
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 नवंबर को देर रात 01 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 नवंबर को देर रात 03 बजकर 47 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी। साधक 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वहीं, उत्पन्ना एकादशी का पारण 27 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से लेकर 03 बजकर 18 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम (Brat Niyam)
- सात्विक भोजन: व्रत से एक दिन पहले से ही सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज, मांसाहार, तामसिक भोजन और मदिरा आदि से दूर रहना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
- संकल्प: व्रत प्रारंभ करने से पहले संकल्प लेना चाहिए कि आप यह व्रत विधिपूर्वक पूरा करेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे।
- दिनभर उपवास: इस दिन उपवास का पालन किया जाता है। कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं, तो कुछ फलाहार करते हैं। शाम को आरती और भजन के बाद व्रत खोलने का प्रावधान है।
- रात्रि जागरण: व्रत के दिन रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करना चाहिए। इससे व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है।
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि (Puja Vidhi)
उत्पन्ना एकादशी Utpanna Ekadashi के दिन पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता एकादशी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यहां हम पूजा की संक्षिप्त विधि बता रहे हैं।
1. प्रातःकाल स्नान एवं संकल्प
व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और मन में एकादशी माता का स्मरण करें।
2. पूजा स्थान की सजावट
पूजा स्थल को अच्छे से स्वच्छ कर, आसन बिछाएं और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें। इसके साथ ही एकादशी माता का भी चित्र रखा जा सकता है।
3. पूजा सामग्री (Pujan Samagri)
- भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति
- एकादशी माता का चित्र (यदि उपलब्ध हो)
- पीला या सफेद वस्त्र
- फूल (विशेष रूप से पीले फूल)
- तुलसी के पत्ते
- चंदन
- धूप और दीपक
- नैवेद्य (फल, मिष्ठान्न, पंचामृत)
- गंगाजल
- अक्षत (चावल)
- रोली, मौली
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
4. पूजा विधान
- भगवान विष्णु का आह्वान: भगवान विष्णु का आह्वान कर उनके चरणों में पुष्प अर्पित करें। मंत्र उच्चारण कर जल से अभिषेक करें और चंदन का लेप लगाएं।
- अक्षत अर्पण: भगवान विष्णु को अक्षत अर्पित करें। इसके बाद, पुष्प, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है, अतः बिना तुलसी के पत्तों के पूजा अधूरी मानी जाती है।
- धूप-दीप प्रज्वलन: भगवान को धूप और दीप दिखाएं। इसके बाद भगवान विष्णु के सम्मुख दीपक जलाएं और आरती करें।
- नैवेद्य अर्पण: भगवान को मिष्ठान्न, फल और पंचामृत का नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही गंगाजल अर्पित कर प्रसाद चढ़ाएं।
- एकादशी माता का पूजन: भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता का भी पूजन करें और उनसे सभी पापों से मुक्ति एवं आशीर्वाद की कामना करें।
- आरती एवं भजन-कीर्तन: पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और भजन-कीर्तन करें। संभव हो तो रातभर जागरण करें और विष्णु सहस्रनाम, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
व्रत खोलने की विधि (Parana Vidhi)
द्वादशी तिथि को पारण का समय होता है। पारण के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। Utpanna Ekadashi फिर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
Utpanna Ekadashi:उत्पन्ना एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- सात्विक आहार और मन का संयम: सात्विक आहार के साथ मन को शांत रखें और भगवान विष्णु का स्मरण करें।
- दान-पुण्य करें: एकादशी के दिन जरूरतमंदों को दान करें, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें: श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्रनाम, एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- रात्रि जागरण: रात में भजन-कीर्तन कर जागरण करें, इससे व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
क्या न करें:
- तामसिक भोजन न करें: इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, आदि तामसिक वस्तुओं से परहेज करें।
- गुस्सा और विवाद से बचें: एकादशी के दिन मन को शांति से रखें और किसी से विवाद न करें।
- दूसरों का अपमान न करें: एकादशी के दिन सभी के प्रति सम्मान का भाव रखें।
- झूठ और कपट न करें: इस दिन सत्य बोलें और कपट से बचें।
निष्कर्ष
उत्पन्ना एकादशी Utpanna Ekadashi का व्रत अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। भगवान विष्णु की आराधना से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा, व्रत, और दान का पालन करना चाहिए ताकि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो सके।