Som Pradosh Vrat 2025: वैसे तो रोजाना घरों में भोलेनाथ की पूजा की जाती है, लेकिन प्रदोष तिथि विशेष है। मान्यता है कि इस दिन महादेव की पूजा करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है, साथ ही भाग्य में भी वृद्धि होती हैं।

माह की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल मे होना, प्रदोष व्रत होने का सही कारण है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहिले प्रारम्भ होकर सूर्यास्त के बाद 45 मिनट होता है।
प्रदोष का दिन जब साप्ताहिक दिवस सोमवार को होता है उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को होने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष तथा शनिवार के दिन प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं।

वैसे तो त्रयोदशी तिथि ही भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। परंतु प्रदोष के समय शिवजी की पूजा करना और भी लाभदायक है।

ध्यान देने योग्य तथ्य: प्रदोष व्रत एक ही देश के दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं। चूँकि प्रदोष व्रत सूर्यास्त के समय, त्रयोदशी के प्रबल होने पर निर्भर करता है। तथा दो शहरों का सूर्यास्त का समय अलग-अलग हो सकता है, इस प्रकार उन दोनो शहरों के प्रदोष व्रत का समय भी अलग-अलग हो सकता है।

इसीलिए कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है कि, प्रदोष व्रत त्रयोदशी से एक दिन पूर्व अर्थात द्वादशी तिथि के दिन ही हो जाता है।

सूर्यास्त होने का समय सभी शहरों के लिए अलग-अलग होता है अतः प्रदोष व्रत करने से पूर्व अपने शहर का सूर्यास्त समय अवश्य जाँच लें, चाहे वो शहर एक ही देश मे क्यों ना हों। प्रदोष व्रत चन्द्र मास की शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है।

Som Pradosh Vrat 2025:सोम प्रदोष व्रत 2025 तिथि

पंचागं के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 26 जनवरी के दिन रात 8 बजकर 54 मिनट पर होगी, इस तिथि का समापन 27 जनवरी को रात 8 बजकर 34 मिनट पर होगा। ऐसे में 27 जनवरी 2025 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा, इस दिन सोमवार होने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा जाएगा।

सोम प्रदोष व्रत 2025 मुहूर्त:Som Pradosh Vrat 2025 Muhurat

ज्योतिषियों की मानें तो 27 जनवरी को सोम प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा के लिए मुहूर्त शाम 5 बजकर 56 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है, आप इस अवधि में महादेव की आराधना कर सकते हैं।

सोम प्रदोष व्रत शुभ योग Som Pradosh Vrat 2025 Subh yoog

इस साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मूल नक्षत्र बन रहा है, जो रात 09: 02 मिनट तक रहेगा, इस दौरान हर्षण योग भी बनेगा।

  • सूर्य:मकर
  • चन्द्र:धनु
  • राहुकाल: सुबह 08:32से-09:53
  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:12 से 12:55

प्रदोष व्रत पूजा विधि Pradosh Vrat Puja vidhi

  • प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक चौकी लें और उसपर महादेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें।
  • अब भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाएं। 
  • इसके बाद अक्षत, बेलपत्र, चंदन, फूल, फल, भांग, शहद, धूप, दीप आदि अर्पित करें। 
  • इस दौरान पंचाक्षर “ॐ  नमः शिवाय” का जाप करते रहें।
  • अब शिव चालीसा का पाठ करें।  
  • फिर कपूर या घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करें। 
  • पूजा के अंत में संतान के लिए प्रार्थना करें और यदि पूजा में कोई गलती हुई है तो उसकी क्षमा मांगें।

प्रदोष व्रत की महिमा Pradosh Vrat ki Mahima

प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि एक दिन जब चारों और अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगी। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृ्पा होगी। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है. उसे उतम लोक की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत का महत्व

❀ मान्यता और श्रध्दा के अनुसार स्त्री-पुरुष दोनों यह व्रत करते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत से कई दोषों की मुक्ति तथा संकटों का निवारण होता है. यह व्रत साप्ताहिक महत्त्व भी रखता है।
❀ रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु वृद्धि तथा अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
❀ सोमवार के दिन त्रयोदशी पड़ने पर किया जाने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है और इंसान की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
❀ मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो तो उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
❀ बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो, उपासक की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
❀ गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े तो इस दिन के व्रत के फल से शत्रुओं का विनाश होता है।
❀ शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिए किया जाता है।
❀ संतान प्राप्ति की कामना हो तो शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए।
❀ अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किए जाते हैं तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृ्द्धि होती है।

प्रदोष व्रत का उद्यापन

❀ इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
❀ व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए।
❀ उद्यापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है. पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है।
❀ प्रात: जल्दी उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों और रंगोली से सजाकर तैयार किया जाता है।
❀ ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन किया जाता है।
❀ हवन में आहूति के लिए खीर का प्रयोग किया जाता है।
❀ हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है और शान्ति पाठ किया जाता है।
❀ अंत: में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

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