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Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai:हर माह आने वाली एकादशी की दो तिथियां भगवान विष्णु की अराधना के लिए समर्पित होती हैं. एक वर्ष में कुल 24 एकादशी आती हैं लेकिन उनमें से कुछ एकादशी बहुत खास मानी जाती हैं.

Most Important Ekadashi:हर माह आने वाली एकादशी की दो तिथियां भगवान विष्णु की अराधना के लिए समर्पित होती हैं. इस दिन भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करते हैं. Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की अराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सांसारिक कष्ट मिट जाते हैं. एक वर्ष में कुल 24 एकादशी (Ekadashi) आती हैं लेकिन उनमें से कुछ एकादशी बहुत खास होती हैं. आइए जानते हैं कौन सी 4 एकादशी का महत्व होता है सबसे अधिक.

Sabse Badi Ekadashi Kaun - kaun Hoti Hai

Ekadashi | हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में महत्वपूर्ण होता हैं और साल में चौबीस एकादशी आती हैं यानि कि हर महीने में दो एकादशी होती हैं एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की लेकिन जिस साल अधिक मास या फिर मलमास आती हैं तो एकादशी व्रत की संख्या दो बढ़ जाया करती हैं अर्थात 24 एकादशी की जगह 26 एकादशी होती हैं

अधिक मास में परमा और पद्मिनी एकादशी नाम की होती हैं. Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए समर्पित होती हैं मान्यता है कि जो भी एकादशी व्रत को सच्चे मन से करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती हैं और इस लोक में सभी सुखों को भोगकर मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है कहा जाता हैं कि एकादशी व्रत के प्रताप से पितरों को मोक्ष मिलता हैं. हर एकादशी का अपना विशेष महत्व होता लेकिन सभी एकादशियों में से चार एकादशियों ऐसी है जिनको विशेष महत्व माना गया है और वे सभी एकादशी बड़ी एकादशी कहलाती हैं.

Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai :आइए जानते हैं साल की चार बड़ी एकादशी और उनके महत्व को….

1) आमलकी एकादशी : Amalaki Ekadashi

Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai आमलकी एकादशी फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है इस एकादशी को आंवला एकादशी और रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता हैं. आमलकी एकादशी को सारे एकादशियों में श्रेष्ठ माना जाता हैं क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले वृक्ष की भी विधिवत पूजन किया जाता हैं. Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai यह एकादशी साल की एक मात्र ऐसी एकादशी है जिसमें भगवान विष्णु के अलावा भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा होती हैं मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान शंकर के गण शंकर पार्वती के संग गुलाल की होली खेलते हैं इसी लिए इस एकादशी को रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता हैं.

आमलकी एकादशी का महत्व :Importance of Amalaki Ekadashi

Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai धार्मिक मान्यता हैं कि आमलकी एकादशी व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु को आंवला फल को चढ़ाने से भक्त को अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. शास्त्रों के अनुसार जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्माजी का जन्म हुआ तब उसी समय भगवान विष्णु ने आंवले वृक्ष को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया जिसके हर भाग में ईश्वर का स्थान माना जाता हैं.

2) पापमोचनी एकादशी : Papmochani Ekadashi

पापमोचनी एकादशी चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती हैं और धार्मिक मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी का विशेष महत्व है. पापमोचनी दो शब्द पाप और मोचनी से मिलकर बना है Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai जिसमें पाप का अर्थ पाप या फिर दुष्कर्म और मोचनी का अर्थ है हटाने वाला यानि कि पापमोचनी एकादशी का व्रत को करने वालों को उनके पापों से मुक्ति मिल जाती हैं.

पापमोचनी एकादशी का महत्व : Importance of Papamochani Ekadashi:

पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से मन की चंचलता खत्म होने के साथ ही धन और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं.पुराणों के अनुसार इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सारे कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai तो वहीं पापमोचनी एकादशी व्रत से जाने अनजाने में कि गई पाप और गलतियों से छुटकारा मिल जाता हैं और उसे सहस्त्र गोदान यानि हजार गायों के बराबर दान का फल मिलता हैं मान्यता है कि ब्रह्म हत्या, स्वर्ण चोरी, सुरापान और गुरुपत्नी गमन जैसे महापाप भी पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से दूर हो जाते हैं.

3) निर्जला एकादशी : Nirjala Ekadashi

निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती हैं. इस एकादशी में निर्जल व्रत यानि कि बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती हैं. निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता हैं. मान्यता है कि जो कोई भी यह व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही यश, वैभव और सुख की प्राप्ति होती हैं.

निर्जला एकादशी का महत्व : Importance of Nirjala Ekadashi:

निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन और पवित्र व्रतों में से एक है इस एकादशी के बारे में मान्यता है कि अगर पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं और जो निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai तो उनकों संपूर्ण एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता हैं. पद्म पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से दीर्घायु और मोक्ष मिलता है इस व्रत को अन्न और जल त्याग करके व्रत करना पड़ता हैं.

4) देवोत्थान एकादशी : Devotthan Ekadashi

देवोत्थान एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है इस एकादशी को देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव शयन करते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को उठते हैं इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी कहते हैं. इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती हैं मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती हैं.

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देवोत्थान एकादशी का महत्व : Importance of Devotthan Ekadashi:

देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र एकादशियों में से एक होता हैं मान्यता है कि भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी में सो जाने के कारण सारे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai लेकिन जब देवउठनी एकादशी में भगवान विष्णु जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती हैं. देवोत्थान एकादशी को तुलसी विवाह और भीष्म पंचक एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है इस दिन तुलसीजी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता हैं.

Ekadashi ki pooja vidhi:एकादशी की पूजाविधि

Sabse Badi Ekadashi Kaun – kaun Hoti Hai एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करके लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णुजी की प्रतिमा स्थापित करें। फिर उन्हें फल, फूल और पंचामृत अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और कथा पढ़ें। व्रत के बाद ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराएं और अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत खोलें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. KARMASU.IN इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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