
Randhan Chhath: रांधण छठ एक पारंपरिक गुजराती हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह अगले दिन आने वाले शीतला सतम के लिए भोजन पकाने से जुड़ा है।
रांधण छठ गुजरात का पारंपरिक त्योहार है, जो रक्षाबंधन से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अगले दिन यानी श्रावणी पूर्णिमा के लिए पकवान बनाकर पूजा हेतु तैयार करती हैं।
2025 में कब है रांधन छठ?
पुराणों में वर्णन मिलता है कि भगवान कृष्ण के जन्म से दो दिन पहले यानि षष्ठी तिथि पर उनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष षष्ठी को रांधन छठ या हल छठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं, और भगवान बलराम की पूजा करती हैं।
Randhan Chhath 2025 Date: रांधण छठ 2025 का शुभ मुहूर्त व तिथि
रांधण छठ – 14 अगस्त 2025, बृहस्पतिवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, षष्ठी)
- शीतला सातम शुक्रवार, अगस्त 15, 2025 को
- षष्ठी तिथि प्रारम्भ – 24 अगस्त 2024 को 07:51 बजे से
- षष्ठी तिथि समाप्त – 25 अगस्त 2024 को 05:30 बजे तक
Kya hai Randhan Chhath: क्या है रांधण छठ?
रांधण छठ भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक पारंपरिक पर्व है, जिसे बलराम जयंती, हलछठ, या हर छठ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान की सुख-समृद्धि, आरोग्य और दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। विशेष रूप से यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिनका जन्म कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पूर्व हुआ था।
Kyo manate hai Randhan Chhath: क्यों मनाते हैं रांधण छठ?
यह पर्व भगवान बलराम के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। बलराम जी को हल और खेती का देवता माना गया है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से कृषि संस्कृति, मातृत्व, और संरक्षण का सम्मान किया जाता है। साथ ही यह व्रत स्त्रियों द्वारा संतान सुख, उनकी भलाई व निरोगी जीवन के लिए रखा जाता है।
रांधण छठ का महत्व: Randhan Chhath ka Mahetwa
- यह पर्व मातृत्व और संरक्षण की भावना को केंद्र में रखता है।
- बलराम जी को अन्नदाता और परिश्रम का प्रतीक माना गया है, अतः यह दिन कृषि संस्कृति और ग्रामीण जीवन से गहराई से जुड़ा हुआ है।
- यह दिन रसोई और भोजन से भी जुड़ा है, क्योंकि रांधण छठ के दिन अगले दिन के लिए भोजन पकाया जाता है, जिससे यह शीतला सप्तमी की भी पूर्व तैयारी बन जाता है।
- स्त्रियों को संतान प्राप्ति, संतान के दीर्घ जीवन और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
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कहाँ और कौन से लोग मनाते हैं रांधण छठ?
यह पर्व उत्तर भारत, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। खासकर वैष्णव परंपरा, गृहस्थ स्त्रियाँ, और कृषक परिवार इस पर्व को बड़ी आस्था से मनाते हैं।
Randhan Chhath Per Kiski Puja Ki Jati Hai: रांधण छठ पर किसकी पूजा की जाती है?
इस दिन भगवान बलराम, शीतला माता, और कभी-कभी अन्नपूर्णा देवी या गृह लक्ष्मी की पूजा की जाती है। बलराम जी को हल का प्रतीक माना जाता है, अतः उनकी पूजा में खेती-बाड़ी से जुड़े प्रतीकों का उपयोग होता है।
Randhan Chhath Ke Din Puja Kaise Kare: रांधण छठ के दिन पूजा कैसे करें?
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- रसोई और पूजा स्थल की शुद्धि करें।
- मिट्टी या लकड़ी के बर्तन में भोजन पकाएँ।
- भोजन बनाते समय देवी का ध्यान करते रहें।
- रसोई में हल, मिट्टी का गोबर, और खेती के प्रतीक रखकर पूजा करें।
- बेलपत्र, दूर्वा, हल्दी-कुमकुम से पूजन करें।
- पकाए गए भोजन को ढककर रखें और अगले दिन माता को अर्पित करें।
रांधण छठ के धार्मिक अनुष्ठान
- उपवास रखना
- खेत-खलिहान से मिट्टी लाकर घर में पूजन करना
- हल-उपकरणों की पूजा करना
- पूड़ी, दाल-चावल, खीर, पीठा जैसे व्यंजन बनाना
- अगले दिन (सप्तमी) इन पकवानों को शीतला माता को अर्पित करना
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Randhan Chhath Manane Ke Labh: रांधण छठ मनाने के लाभ
- संतान को दीर्घायु, आरोग्यता और शुभ बुद्धि की प्राप्ति
- घर में अन्न-धन और समृद्धि की वृद्धि
- शीतला माता और बलराम जी का आशीर्वाद
- परिवार में सौहार्द्र और मातृत्व का आदर्श स्थापित होता है
- गृहकलह, रोग और दुर्भाग्य से मुक्ति
Randhan Chhath Ke Din Kya Karna Chahiye: रांधण छठ के दिन क्या करना चाहिए?
- सुबह स्नान कर रसोई और पूजा स्थान की शुद्धि करें
- पूरे मन से व्रत का पालन करें
- शुद्ध और पारंपरिक तरीके से भोजन पकाएँ
- देवी और देवताओं का ध्यान करते हुए सादगी से काम करें
- पकाया गया भोजन केवल अगले दिन उपयोग के लिए रखें
Randhan Chhath Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye: रांधण छठ के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- इस दिन पकाए गए भोजन को नहीं खाना चाहिए
- किसी भी प्रकार की अशुद्धता जैसे जूठन, शोर या कलह से बचें
- बिना स्नान और शुद्धता के भोजन न पकाएं
- पूजा में उपेक्षा, लापरवाही या अपवित्रता न बरतें
- अनावश्यक बोलचाल या क्रोध से बचें