
Ram Raksha Stotra:राम रक्षा स्तोत्र (श्री राम रक्षा स्तोत्र): भगवान शिव ने भगवान बुद्ध को स्वप्न में राम रक्षा स्तोत्र सुनाया था। किसी भी गंभीर बीमारी में कुछ अद्भुत कंपन, पहचान और संकेत होते हैं। किसी भी तरह की बीमारी या आपदा के लिए इसका जाप किया जा सकता है। कई लोगों ने इसका चमत्कार स्वयं देखा है। राम रक्षा स्तोत्र (मंत्र) की अच्छी बात यह है कि जो कोई भी इसका प्रयोग करता है, वह कभी निराश नहीं होता। राम रक्षा स्तोत्र एक चमत्कारी प्रार्थना है। इसका प्रयोग किसी भी तरह की बीमारी या आपदा के लिए किया जा सकता है। कई लोगों ने इसका चमत्कार देखा है।
Ram Raksha Stotra:राम रक्षा स्तोत्र (प्रार्थना) की अच्छी बात यह है कि जो कोई भी इसका जाप करता है, वह कभी निराश नहीं होता। खासकर उन लोगों के लिए जिनका जीवन खतरे में है, जो असाध्य रोग से पीड़ित हैं, अगर कोई दुश्मन आपको परेशान कर रहा है, Ram Raksha Stotra अगर आपको चोट लगने का डर है, अगर आपको लड़ाई का डर है तो Ram Raksha Stotra राम रक्षा स्तोत्र आपके शरीर के सभी अंगों की रक्षा करेगा क्योंकि यह सभी प्रकार की सुरक्षा से युक्त है। अगर आपकी नौकरी चली गई है या जाने वाली है तो इस जाप का प्रयोग करके आप परिस्थितियों को अपने पक्ष में कर सकते हैं।
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यदि आप परेशान और व्यथित महसूस करते हैं, यदि आप सबसे बुरे की उम्मीद कर रहे हैं या यदि आप अपने प्रियजनों के बारे में चिंतित हैं तो इस मंत्र का प्रयोग करें और आप देखेंगे कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो गई हैं। Ram Raksha Stotra इस मंत्र में हम भगवान राम की पूजा करते हैं और सफलता के लिए उनके दिव्य आशीर्वाद की अपेक्षा करते हैं। यह राम रक्षा स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जिनके जीवन को खतरा है। बीमार व्यक्ति जो बीमारी से पीड़ित है या यदि कोई दुश्मन आपको परेशान कर रहा है, तो यह राम रक्षा स्तोत्र आपको तुरंत राहत देता है।
Ram Raksha Stotra अगर किसी को चोट लगने का डर है, तो यह मरहम का काम करेगा। इसलिए यदि आप लड़ाई से डरते हैं। राम रक्षा स्तोत्र आपके शरीर के सभी अंगों की रक्षा करेगा। यह राम रक्षा स्तोत्र सभी प्रकार की बीमारी और परेशानी से सुरक्षा प्रदान करता है। Ram Raksha Stotra यह राम रक्षा स्तोत्र मंत्रमुग्ध है। यह भगवान शिव द्वारा राम रक्षा स्तोत्र सपने में भगवान बुद्ध को सुनाया गया है। किसी भी गंभीर बीमारी में कुछ अद्भुत कंपन, पहचान और संकेत होते हैं। यह किसी भी तरह की बीमारी या आपदा के लिए किया जा सकता है।
कई लोगों ने इसका चमत्कार खुद देखा है। राम रक्षा स्तोत्र (मंत्र) के बारे में अच्छी बात यह है। जो कोई भी इसका उपयोग करता है वह कभी निराश नहीं होता है।
राम रक्षा स्तोत्र के लाभ: Ram Raksha Stotra
यदि आप लगातार 45 दिनों तक इसका पाठ करते हैं,
Ram Raksha Stotra तो इसका प्रभाव लंबे समय तक लगभग दोगुना हो जाता है। राम रक्षा स्तोत्र किसी भी तरह के भय से मुक्ति दिलाता है। Ram Raksha Stotra इसके अलावा राम रक्षा स्तोत्र से कुछ सरल ज्योतिषीय उपाय भी किए जा सकते हैं, Ram Raksha Stotra जो आपको परेशानियों से बचा सकते हैं।
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किसे करना चाहिए इस स्तोत्र का पाठ:
जो लोग भय में जी रहे हैं और विकास के लिए कोई जोखिम नहीं उठा सकते, उन्हें नियमित रूप से राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
श्री राम रक्षा स्तोत्र:Ram Raksha Stotra in Hindi
ॐ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप्छन्द: सीता शक्ति: श्रीमान् हनुमान् कीलकं श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोग: ।
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ।
वामांकारूढ़सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालन्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम् ।।
स्तोत्रम्
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ।। 1 ।।
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ।। 2 ।।
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ।। 3 ।।
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ।। 4 ।।
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ।। 5 ।।
जिह्वां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ।। 6 ।।
करौ सीतापति: पातु ह्रदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ।। 7 ।।
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ।। 8 ।।
जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तक: ।
पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामोऽखिलं वपु: ।। 9 ।।
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ।। 10 ।।
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्रष्टुपमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ।। 11 ।।
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ।। 12 ।।
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ।। 13 ।।
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ।। 14 ।।
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान्प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ।। 15 ।।
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमानस न: प्रभु: ।। 16 ।।
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ।। 17 ।।
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ।। 18 ।।
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ।। 19 ।।
आत्तसज्जधनुषाविषुस्प्रशावक्षयाशुगनिषंगसन्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ।। 20 ।।
सन्नद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनारथान्नश्च राम: पातु सलक्ष्मण: ।। 21 ।।
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघूत्तम: ।। 22 ।।
वेदान्तवेधो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ।। 23 ।।
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय: ।। 24 ।।
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरा: ।। 25 ।।
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ।। 26 ।।
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ।। 27 ।।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम ।। 28 ।।
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा ग्रणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपधे ।। 29 ।।
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ।। 30 ।।
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ।। 31 ।।
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपधे ।। 32 ।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपधे ।। 33 ।।
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुहा कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ।। 34 ।।
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।। 35 ।।
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ।। 36 ।।
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भोराम मामुद्धर ।। 37 ।।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।। 38 ।।
।। इति श्रीराम रक्षा स्तोत्र संपूर्णम् ।।