Ram mandir Murti: जिस दिन का पूरे भारत को वर्षों से इंतजार था, वह दिन आ गया है। 22 जनवरी को पूरे विधि विधान के साथ अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। ऐसे में पूरा भारतवर्ष राममय हो गया है और हर तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल है। गर्भगृह में रामलला की बालस्वरूप मूर्ति को स्थापित किया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर पांच वर्ष के रामलला को ही मंदिर में क्यों स्थापित किया गया है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
Ram mandir Murti:अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है, इसलिए इस बात पर कोई संशय नहीं था कि यहां मंदिर में उनका बालरूप ही विराजमान होना चाहिए। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कई अधिकारियों का सुझाव था कि भगवान राम का यहां पर वही बाल रूप होना चाहिए जिसे देखकर माताओं के अंदर ममता भाव जागे…
अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू हो चुका है। 17 जनवरी को भगवान की चांदी की एक प्रतीकात्मक प्रतिमा को मंदिर भ्रमण कराया गया। 18 जनवरी को उनकी मुख्य मूर्ति को आसन पर विराजमान कर पूजन कार्यक्रम शुरू कर दिया जाएगा। मुख्य प्रतिमा के रूप में भगवान राम की पांच वर्ष के बालक रूप को मुख्य मूर्ति के रूप में चयनित किया गया है। भगवान राम की प्रतिमा के रूप में उनका पांच वर्ष का स्वरूप ही क्यों चुना गया, बहुत सोच विचार के बाद यह निर्णय किया गया था।
लेकिन अंत में सहमति इस बात पर बनी कि Ram mandir Murti पांच वर्ष के रूप में भगवान राम की मूर्ति में एक बच्चे के समान उनके मुख पर कोमलता भी विराजमान हो सकती है, साथ ही धनुष बाण लिए उनके विराट रूप की एक झलक भी दिखाई पड़ सकती है। इससे उनकी मूर्ति को देखकर जहां माताओं के अंदर ममता की भावना जागेगी, वहीं पुरुषों को उनकी मूर्ति देखकर उनके पूर्ण रूप का आभास होगा, जिसके सामने नतमस्तक होकर वे आशीर्वाद और वरदान मांगने के लिए प्रेरित हो सकेंगे।
यही कारण है कि अयोध्या में भगवान राम के पांच वर्ष के बच्चे के रूप में मूर्ति का चयन किया गया। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इस मूर्ति का आकार दिया है। कहा जा रहा है कि यह मूर्ति भव्य है और इसे देखकर भक्तों के अंदर अद्भुत भक्ति भाव पैदा होगा।
मूर्ति से जुड़ी कुछ खास बातें
Ram mandir Murti:सबसे पहले हम मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जान लेते हैं। गर्भगृह में जिस मूर्ति की स्थापना की गई है, उस मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच की है। भगवान श्रीराम बालस्वरूप में कमल के आसन पर खड़े हुए हैं, जिनके बाएं ओर हनुमान, मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, ऊं, शेषनाग और सूर्य हैं, जबकि श्रीराम के दाएं ओर गदा, स्वास्तिक, हाथ में धनुष, परशुराम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि और गरूड़ है। मूर्ति को मुख्यरूप से मैसूर के अरूण योगीराज द्वारा बनाया गया है।
बालस्वरूप मूर्ति की ही स्थापना क्यों
अब सवाल है कि आखिर मंदिर के गर्भगृह में पांच वर्ष की मूर्ति की ही स्थापना क्यों की गई है, Ram mandir Murti तो आपको बता दें कि हिंदू धर्म में बाल्याकल पांच वर्ष की आयु तक माना जाता है। वहीं, पांच वर्ष की आयु के बाद बोधगम्य शुरू हो जाता है। इसके साथ ही मान्यताओं के मुताबिक, जन्मभूमि में बालस्वरूप में ही उपासना की जाती है।
चाणक्य समेत अन्य विद्वानों ने भी पांच वर्ष की आयु को वह आयु माना है, Ram mandir Murti जब किसी बच्चे को गलती का अहसास नहीं होता है और इसके बाद उसे बोध होना शुरू हो जाता है। चाणक्य नीति में इन दोनों चरणों का कुछ इस तरह से वर्णन किया गया हैः
पांच वर्ष लौं लालिये, दस सौं ताड़न देइ। सुतहीं सोलह बरस में, मित्र सरसि गनि लेइ।।
वहीं, काकभुशुंडी ने भी श्रीराम के बाल स्वरूप को लेकर वर्णन किया है, जिसमें कहा गया है कि
तब तब अवधपुरी मैं जाऊं। बालचरित बिलोकि हरषाऊं॥
जन्म महोत्सव देखउं जाई। बरष पांच तहं रहउं लोभाई॥
इसके अर्थ की बात करें, तब-तब मैं अवधपुरी जाता हूं, Ram mandir Murti तो उनकी बाल लीलाओं को देखकर खुश हो जाता हूं। Ram mandir Murti वहां जाकर मैं जन्म महोत्सव देखता हूं और उनकी लीला के लोभ में पांच वर्ष तक वही रहता हूं।