Puthandu 2025:तमिल नव वर्ष की शुरुआत को पुथांडु कहा जाता है। तमिलनाडु के साथ-साथ आस पास के क्षेत्रों में भी इस पर्व को बड़े ही उत्साह और पारम्परिक तरीके से मनाया जाता है। यह पर्व तमिल लोगों में बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं तमिल नव वर्ष यानी पुथांडु कब और कैसे मनाया जाता है।
पुथांडू, जिसे पुथुवरुदम के नाम से भी जाना जाता है, तमिल नव वर्ष का प्रतीक है और यह तमिल कैलेंडर का पहला दिन या चिथिराई महीने का पहला दिन है जिसे तमिलनाडु के लोगों द्वारा पुथांडू के रूप में मनाया जाता है। तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाने वाला यह दिन बहुत महत्व रखता है। पुथांडू ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर साल लगभग एक ही दिन पड़ता है। इस वर्ष, पुथांडू 14 अप्रैल को मनाया जाएगा
पुथंडु,Puthandu जिसे तमिल नव वर्ष या वरुशा पिरप्पु के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में तमिल समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक खुशी और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार है। यह तमिल कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है और पारंपरिक अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और उत्सवों के साथ मनाया जाता है जो नवीकरण, समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। Puthandu 2025 इस लेख में, हम पुथंडु के रीति-रिवाजों, रीति-रिवाजों, महत्व और आध्यात्मिक सार के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिसमें इस शुभ अवसर से जुड़ी प्रार्थना और त्योहार मनाने की प्रक्रिया भी शामिल है।
Puthandu 2025:क्या है मान्यता
तमिल लोगों द्वारा पुथांडु का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन से भगवान ब्रह्म ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था। Puthandu 2025 साथ ही इस तिथि पर भगवान इंद्र स्वयं धरती पर लोगों के कल्याण के लिए उतरे थे। Puthandu 2025 माना जाता है कि इस दिन पर पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही उनका पूरा वर्ष अच्छा बीतता है।
कैसे मनाया जाता है यह पर्व
पुथांडु को तमिल लोग बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन को पुथुरूषम एवं वरुषा पिरप्पु के नाम से भी जाना जाता है। इस खास मौके पर लोग अपने घर की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं। साथ ही घर को रंगोली से घर को सजाया जाता है, जिसमें चावल के आटे का भी उपयोग किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से जो सौभाग्य आता है।
इसके बाद लोग पारंपरिक वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं। Puthandu 2025 साथ ही मंदिर जाकर भी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस दिन पर चावल की खीर का भोग लगाने का विशेष महत्व माना गया है। इसी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन शाकाहारी भोजन ही किया जाता है।
पुथांडू का इतिहास
पुथांडू की उत्पत्ति चोल राजवंश के शासनकाल से लगाया जा सकता है, जिसने 9वीं से 13वीं शताब्दी तक तमिलनाडु और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों पर शासन किया था। इस दौरान, तमिल कैलेंडर बनाया गया और चिथिराई के पहले दिन को तमिल नव वर्ष के रूप में नामित किया गया।
पुथांडू का महत्व
तमिल सौर कैलेंडर का पहला महीना, चिथिराई, पुथांडू उत्सव के साथ शुरू होता है। इस दिन को तमिलनाडु और श्रीलंका में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। अन्य राज्य भी इसी दिन नया साल मनाते हैं। Puthandu 2025 इस दिन पश्चिम बंगाल पोहेला बोइशाख मनाता है, केरल विशु मनाता है, पंजाब बैसाखी मनाता है और असम इस दिन बिहू मनाता है।
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पुथंडु,Puthandu पर पूजा और त्यौहार मनाने की प्रक्रिया
कोलम और सजावट – Puthandu 2025 पुथंडु की शुरुआत घरों और मंदिरों के सामने कोलम (रंगोली डिज़ाइन) बनाने की पारंपरिक कला से होती है। ये जटिल और रंगीन पैटर्न चावल के आटे या रंगीन पाउडर का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं, जो समृद्धि, स्वागत और शुभता का प्रतीक हैं। घरों को आम के पत्तों, फूलों और पारंपरिक रूपांकनों से सजाया जाता है।
मंदिरों की यात्रा – पुथंडु पर, परिवार प्रार्थना करने और नए साल के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए मंदिरों में जाते हैं। भगवान विष्णु, भगवान शिव और देवी लक्ष्मी जैसे देवताओं को समर्पित मंदिरों में विशेष पूजा (अनुष्ठान), अभिषेकम (देवताओं का पवित्र स्नान), और आराधना (प्रसाद) किए जाते हैं।
नीम के फूल का रसम – पुथंडु का एक अनोखा पहलू नीम के फूल के रसम की तैयारी है, जो नीम के फूल, इमली, गुड़ और मसालों से बना एक विशेष व्यंजन है। नीम अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, और शरीर को शुद्ध करने और बीमारियों को दूर करने के लिए पुथंडु के दौरान रसम का सेवन किया जाता है।
दावत और पारिवारिक जमावड़ा – पुथांडू आम पचड़ी, वड़ा, पायसम और चावल की किस्मों जैसे पारंपरिक तमिल व्यंजनों पर दावत का समय है। परिवार भोजन साझा करने, उपहारों का आदान-प्रदान करने और नए साल के अवसरों का स्वागत करते हुए पिछले वर्ष के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करने के लिए एक साथ आते हैं।
सांस्कृतिक प्रदर्शन – तमिल संस्कृति, कला और साहित्यिक परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए Puthandu 2025 पुथंडु के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत समारोह, नृत्य प्रदर्शन और कहानी सत्र आयोजित किए जाते हैं। कोलट्टम और भरतनाट्यम जैसे लोक नृत्य उत्सव के माहौल को बढ़ाते हैं।