Pitru Paksha 2024:पितृपक्ष में पितृदोष से मुक्ति के उपाय: पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय जरूर करने चाहिए। इससे आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और आप तरक्की की राह पर अग्रसर होते हैं। साथ ही पितृपक्ष में अलग-अलग स्थितियों में श्राद्ध के रूप बताए गए हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं उनके बारे में।
Pitru Paksha 2024:रामायण और महाभारत काल में भी श्राद्ध का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि हमारे पूर्वज इस काल के दौरान स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और अपने सम्बन्धियों से पिण्डदान प्राप्त करके आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष दोषों के निवारण के लिया इस समय का अपना महत्व है। शास्त्रों में 3 तरह के ऋण बताए गए हैं। आइए, जानते हैं पितृपक्ष की पौराणिक मान्यताएं।
Pitru Paksha 2024:पितृपक्ष में कौवों के लिए खाना रखें
Pitru Paksha 2024:पितृपक्ष में हर घरों के छत पर कौए के लिए खाना रखने की प्रथा आप जानते हैं कि ऐसा करने से सभी प्रकार के दोष और ऋण से मुक्ति मिल जाती है क्योंकि ऐसा करके जाने अनजाने में हम प्रकृति का संरक्षण कर रहे होते हैं क्योंकि असल में ऋण तो हम पर प्रकृति का ही होता है, जिस पंचतत्वों से हमारा शरीर बना होता है। हमारे ऋषियों ने कौवों को पितरों के रूप में माना जाता है क्योंकि प्रकृति के सरंक्षण का बोझ इन्हीं पर तो हैं। भादो में मादा कौआ नए जीव को जन्म देते है और इन्हें पौष्टिक आहार की जरुरत होती है।
Pitru Paksha 2024:पीपल और बरगद की पूजा करें
पीपल और बरगद के वृक्ष प्रकृति संरक्षण के लिया महत्वपूर्ण है क्योंकि ये दोनों ही वृक्ष धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से बहुत ज्यादा जरूरी है। श्राद्ध पूजा में भी इन दोनों ही वृक्षों की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष में खाना खिलाकर अपने ऊपर के प्रकृति ऋण को भी कम करते हैं।
Pitru Paksha 2024:पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने का उपाय
18 वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि कन्या राशि में केतु के साथ सूर्य के रहेंगे और मीन राशि में राहु की दृष्टि भी सूर्य पर रहेगी। ऐसे में ग्रहों की शांति के लिए खीर में केसर मिला कर बनाएं और दान करें। अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो आपको यह विशेष उपाय जरूर करना चाहिए। इसके अलावा काले तिल वाला पानी दक्षिण दिशा में रखें, इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
पितृपक्ष में श्राद्ध के कुछ प्रकार
पंचमी श्राद्ध- जिन पितरों की मृत्यु पंचमी तिथि को हुई हो या अविवाहित स्थिति में हुई है, तो उनके लिए पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाता है।
नवमी श्राद्ध – नवमी तिथि को मातृनवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।
चतुर्दशी श्राद्ध- इस तिथि उन परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।
सर्वपितृ अमावस्या- जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही-सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।