श्राद्ध पक्ष: पूर्वजों को याद करने का समय

श्राद्ध पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है। यह 16 दिनों का एक ऐसा समय होता है जब हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

श्राद्ध पक्ष क्यों मनाया जाता है?

  • पितृ ऋण: हिंदू धर्म में माना जाता है कि हम अपने पूर्वजों के ऋणी होते हैं और हमें उनके प्रति श्रद्धा दिखानी चाहिए।
  • आत्मा की शांति: श्राद्ध के माध्यम से यह माना जाता है कि पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
  • आशीर्वाद: पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए भी श्राद्ध किया जाता है।
श्राद्ध पक्ष

श्राद्ध पक्ष में क्या किया जाता है?

  • तर्पण: पितरों को जल चढ़ाना।
  • पिंडदान: तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करना।
  • ब्राह्मण भोज: ब्राह्मणों को भोजन कराना।
  • दान: दान करना।
  • श्राद्ध: विशेष पूजा और अनुष्ठान करना।

श्राद्ध पक्ष की तिथियां

श्राद्ध की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। यह भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है।

श्राद्ध पक्ष में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

  • श्राद्ध की तिथि: यह जानना जरूरी है कि आपकी कुलदेवता की श्राद्ध तिथि कौन सी है।
  • विधि-विधान: श्राद्ध को विधि-विधान से करना चाहिए।
  • शुद्धता: श्राद्ध के समय शुद्ध रहना चाहिए।
  • मन की शांति: श्रद्धा और भक्ति के साथ श्राद्ध करना चाहिए।

श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां
17 सितंबर पूर्णिमा श्राद्ध
18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध
19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध
20 सितंबर तृतीया श्राद्ध
21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध
22 सितंबर पंचमी श्राद्ध
23 सितंबर षष्ठी और सप्तमी श्राद्ध
24 सितंबर अष्टमी श्राद्ध
25 सितंबर नवमी श्राद्ध
26 सितंबर दशमी श्राद्ध
27 सितंबर एकादशी श्राद्ध
29 सितंबर द्वादशी श्राद्ध
30 सितंबर त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध
2 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या (समापन)

गजाननं

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