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Pithori Amavasya

Pithori Amavasya: पिठोरी अमावस्या 2025 कब है? जानें इस विशेष व्रत की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा, जो माताएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। पिठोरी अमावस्या भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पिठौरियों (छोटे आटे के पुतलों) की पूजा करती हैं। व्रत, कथा और विशेष भोजन का आयोजन होता है।

Pithori Amavasya: हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और विशेष महत्व भी होता है। पिठोरी अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुश अमावस्या भी कहा जाता है।

इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपने पुत्रों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।

Pithori Amavasya: पिठोरी अमावस्या 2025 कब है ?

Pithori Amavasya auspicious time and date: पिठोरी अमावस्या शुभ मुहूर्त व तिथि

  • पिठोरी अमावस्या व्रत 22 अगस्त 2025, शुक्रवार को किया जायेगा।
  • पिठोरी व्रत प्रदोष मूहूर्त शाम 06:53 बजे से रात 09:06 बजे तक रहेगा।
  • इसकी कुल अवधि 02 घण्टे 12 मिनट्स की रहेगी।
  • अमावस्या तिथि 22 अगस्त 2025, शुक्रवार को दिन में 11:55 AM बजे प्रारंभ होगी।
  • अमावस्या तिथि का समापन 23 अगस्त 2025, शनिवार को दिन में 11:35 AM बजे होगा।

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त:Other auspicious times of this day

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 06 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 28 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक होगा।
  • अभिजित मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 09 मिनट से 03 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
  • गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 27 मिनट से 07 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल रात 10 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 16 मिनट तक (23 अगस्त की रात्रि तक) रहेगा।
  • निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक (23 अगस्त की रात्रि तक) रहेगा।

Pithori Amavasya Kya Hai:क्या है पिठोरी अमावस्या?

पिठोरी अमावस्या भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला एक विशेष व्रत है, जो मुख्य रूप से मातृत्व और संतान सुख से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से मां दुर्गा और 64 योगिनियों की पूजा करती हैं। व्रती स्त्रियां आटे से देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाकर विधिपूर्वक पूजन करती हैं, इसी कारण इस पर्व को ‘पिठोरी अमावस्या‘ कहा जाता है — ‘पिठो’ शब्द का अर्थ होता है आटा।

Kyo Manai Jati HAi Pithori Amavasya: क्यों मनाई जाती है पिठोरी अमावस्या?

पिठोरी अमावस्या का व्रत स्त्रियां अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना से करती हैं। वहीं जो महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छुक होती हैं, वे भी इस दिन व्रत रखकर माता दुर्गा और भगवान शिव की आराधना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान संबंधी सभी कष्ट दूर होते हैं और मातृत्व सुख प्राप्त होता है।

इसके अतिरिक्त इस दिन घर में धार्मिक कार्यों के लिए पवित्र कुशा एकत्र करने की परंपरा भी है, इसलिए यह तिथि कुशोत्पाटिनी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी प्रसिद्ध है।

Importance of Pithori Amavasya:पिठोरी अमावस्या का महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार पिठोरी व्रत का माहात्म्य स्वयं माता पार्वती ने बताया था, और सर्वप्रथम इस व्रत को इंद्राणी (देवराज इंद्र की पत्नी) देवी शची ने किया था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें न केवल संतान सुख प्राप्त हुआ, बल्कि सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का भी वरदान मिला। इस व्रत के माध्यम से स्त्रियां न केवल अपनी संतान की रक्षा के लिए देवी शक्ति का आह्वान करती हैं, बल्कि अपने जीवन में आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन भी प्राप्त करती हैं। यह दिन मातृत्व के सम्मान और संतान के कल्याण हेतु समर्पित होता है।

Where is Pithori Amavasya celebrated:कहां- कहां मनायी जाती है पिठोरी अमावस्या

Pithori Amavasya: पिठोरी अमावस्या देश भर में किसी न किसी रुप में मनायी जाती रही है। उत्तरी भारत में ये पर्व भाद्रपद अमावस्या या कुशाग्रहणी अमावस्या के नाम से मनाया जाता है। वहीं आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पिठोरी अमावस्या को पोलाला अमावस्या कहा जाता है। इस दिन दक्षिण भारत में देवी पोलेरम्मा की उपासना की जाती है। देवी पोलेरम्मा को माता पार्वती का एक ही रूप माना जाता है। इसके अलावा इस दिन सप्तमातृकाओं के पूजन की भी परंपरा है। विशेष रूप से ये पूजा दक्षिण भारत में प्रचलित है। सात देवियों, ब्रह्माणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, इन्द्राणी, कौमारी, वाराही, चामुण्डा अथवा नारसिंही को ‘मातृका’ कहा जाता है।

Pooja material for Pithori Amavasya Puja:पिठोरी अमावस्या पूजा की पूजन सामग्री

  • पिठोरी अमावस्या की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्र करें:
  • गेहूं या गेंहू का आटा (देवियों की प्रतिमा बनाने हेतु)
  • हल्दी, कुमकुम, रोली
  • अक्षत (चावल)
  • दूर्वा और कुशा
  • दीपक, धूप, अगरबत्ती
  • फूल (विशेष रूप से गेंदे या लाल पुष्प)
  • 64 छोटी मूर्तियों के रूप में आटे से बनाई गई देवियाँ
  • कलश, जल पात्र, पंचामृत
  • दूध, दही, घी, शहद, शक्कर
  • मिठाई (घर पर बनी या खरीदी हुई)
  • मौली (कलावा), सुपारी, पान, लौंग, इलायची
  • नारियल
  • आसन (पूजा बैठने हेतु), लकड़ी की चौकी
  • पूजा थाली व घंटे
  • व्रत कथा की पुस्तक या पिठोरी अमावस्या व्रत कथा की पांडुलिपि

Whom to worship on Pithori Amavasya:पिठोरी अमावस्या पर किसकी पूजा करें?

  • इस दिन मुख्य रूप से मां दुर्गा, भगवान शिव, और 64 योगिनियों की पूजा की जाती है।
  • व्रती स्त्रियां आटे से इन देवी-देवताओं की मूर्ति बनाकर उन्हें स्थापित करती हैं और फिर विधिपूर्वक उनका पूजन करती हैं।
  • 64 योगिनियां तांत्रिक परंपरा में पूज्य मानी जाती हैं और इनकी आराधना से संतान सुख, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Rituals of Pithori Amavasya:पिठोरी अमावस्या की पूजाविधि

स्नान व संकल्प: प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें – संतान सुख, रक्षा व ऐश्वर्य की कामना के साथ।

आटे से मूर्तियां बनाएं: पूजा से पूर्व गेंहू के आटे से मां दुर्गा, भगवान शिव और 64 योगिनियों की छोटी-छोटी मूर्तियाँ बनाएं। इन्हें चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।

कलश स्थापना: एक पवित्र कलश में जल भरकर आम या अशोक के पत्ते रखें और नारियल स्थापित करें।

पूजन आरंभ करें: सबसे पहले गणेशजी का स्मरण करें। फिर 64 योगिनियों के साथ मां दुर्गा और भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें जल, अक्षत, फूल, रोली, हल्दी, मिठाई, धूप-दीप आदि समर्पित करें।

व्रत कथा श्रवण करें: पिठोरी अमावस्या व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुनें। इस कथा में देवी शची और माता पार्वती द्वारा व्रत का उल्लेख होता है।

आरती करें और प्रार्थना करें: अंत में दीप जलाकर आरती करें और परिवार की रक्षा, संतान की लंबी उम्र व सुखद भविष्य की प्रार्थना करें।

प्रतिमाओं का विसर्जन: पूजा के बाद आटे से बनी मूर्तियों का विसर्जन किसी पवित्र स्थान या नदी में करें या उन्हें गऊ माता को अर्पित करें।

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पिठोरी अमावस्या पर होने वाले अनुष्ठान:Rituals performed on Pithori Amavasya

  • पिठोरी अमावस्या के दिन पूजा स्थल को फूलों से सजाया जाता है, और विधि विधान से देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है।
  • पूजा में माता को नये वस्त्र व सुहाग की सामग्री भी भेंट करने का विधान है।
  • पिठोरी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करने का विशेष महत्त्व है।
  • इस दिन पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण व दान-पुण्य भी किया जाता है।
  • इस दिन निर्धन या भूखे व्यक्ति को हलुआ-पूरी खिलाने का भी विधान है।
  • इस अमावस्या पर योगिनी पूजा करने की भी परंपरा है।
  • पिठोरी अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को भोजन कराना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
  • इस अमावस्या पर पोला उत्सव भी मनाने की परंपरा है। पोला उत्सव से संबंधित पूरी जानकारी श्री मंदिर पर उपलब्ध है।

पिठोरी अमावस्या पूजा के लाभ:Benefits of Pithori Amavasya Puja

संतान सुख की प्राप्ति: इस व्रत से उन दंपत्तियों को विशेष लाभ मिलता है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं।

संतान की रक्षा और दीर्घायु: माताएं यह व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखद जीवन के लिए करती हैं।

पारिवारिक सुख-शांति: इस दिन देवी-देवताओं की पूजा से घर में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

कर्ज़ और संकटों से मुक्ति: पिठोरी अमावस्या पर की गई पूजा व्यक्ति को पूर्व जन्मों के पापों और वर्तमान जीवन की बाधाओं से राहत दिला सकती है।

मनोकामनाओं की पूर्ति: यह व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए तो मनचाही इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

What should be done on the day of Pithori Amavasya: पिठोरी अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?

  • प्रातः स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  • गेंहू के आटे से 64 योगिनियों, मां दुर्गा और भगवान शिव की मूर्तियाँ बनाएं।
  • विधिपूर्वक पूजा करें और व्रत कथा का श्रवण करें।
  • सादा व सात्विक भोजन करें (यदि व्रत न रख रहे हों तो भी)।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दान करें।
  • कुशा एकत्र करना शुभ माना जाता है, इसलिए घर में पवित्रता से कुशा लाएं और रखें।
  • संतान को स्पर्श करके या उसका ध्यान करके पूजा करें — यह पूजा संतान-सुख से जुड़ी होती है।

What not to do on the day of Pithori Amavasya: पिठोरी अमावस्या के दिन क्या न करें?

  • मांसाहार और मद्यपान का पूर्णतः परहेज करें।
  • क्रोध, झूठ और वाणी में कटुता से बचें।
  • जमीन पर झूठे हाथ-पैर से पूजा स्थान को न छुएं।
  • आटे से बनी मूर्तियों के साथ अनादर या अपवित्रता न बरतें।
  • इस दिन किसी की निंदा या बुराई करने से व्रत का पुण्य घटता है।
  • बिना स्नान या अशुद्ध अवस्था में पूजा न करें।

तो यह थी Pithori Amavasya पिठोरी अमावस्या व्रत की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा-अर्चना सफल हो, और माता दुर्गा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ के इस धार्मिक मंच पर।

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