Parshuram Chalisa:परशुराम चालीसा भगवान परशुराम की स्तुति और उनके गुणों की महिमा का वर्णन करती है। भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने पृथ्वी को पापियों और अत्याचारियों से मुक्त किया। परशुराम चालीसा का पाठ करने से कई आध्यात्मिक और जीवन में सकारात्मक लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं परशुराम चालीसा के लाभ:
Parshuram Chalisa:परशुराम चालीसा के लाभ
- साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि: भगवान परशुराम को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति के भीतर साहस और आत्मविश्वास का विकास होता है।Parshuram Chalisa कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, और व्यक्ति किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहता है।
- न्याय और धर्म की स्थापना: भगवान परशुराम ने अपने जीवन में हमेशा न्याय और धर्म की स्थापना की। Parshuram Chalisa चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में नैतिकता, न्याय और धर्म का पालन करने की प्रेरणा मिलती है। इससे व्यक्ति को जीवन में सही मार्ग पर चलने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस मिलता है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति: परशुराम चालीसा का पाठ शत्रुओं से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है, जो शत्रुओं या विरोधियों से परेशान हैं। इसके पाठ से व्यक्ति को सुरक्षा और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- अत्याचार और अन्याय से रक्षा: भगवान परशुराम ने पृथ्वी को अत्याचारियों से मुक्त किया था। उनके चालीसा का पाठ अत्याचार और अन्याय से बचने में सहायक होता है। यह पाठ व्यक्ति को जीवन में आने वाले अन्याय और अत्याचार से सुरक्षा प्रदान करता है और उसे मानसिक शांति देता है।
- क्रोध और आक्रामकता को नियंत्रित करने में सहायक: परशुराम जी का व्यक्तित्व तेजस्वी और क्रोध से भरा हुआ था, लेकिन वह अपने क्रोध को धर्म के लिए नियंत्रित करते थे। Parshuram Chalisa इस चालीसा का पाठ व्यक्ति को अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने में मदद करता है। जिन लोगों को क्रोध की अधिकता होती है, उनके लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- शांति और संतोष की प्राप्ति: परशुराम चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह पाठ व्यक्ति के मन की अशांति को दूर करता है और उसे आंतरिक संतुलन प्रदान करता है। Parshuram Chalisa इससे तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- भौतिक समृद्धि और उन्नति: परशुराम जी का आशीर्वाद भौतिक समृद्धि और उन्नति में सहायक होता है। उनके चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक उन्नति होती है और उसे धन-धान्य की प्राप्ति होती है। कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और व्यापार या नौकरी में प्रगति मिलती है।
- विद्या और ज्ञान में वृद्धि: परशुराम जी का संबंध ब्राह्मण कुल से है Parshuram Chalisa और उन्हें विद्या का देवता भी माना जाता है। परशुराम चालीसा का पाठ करने से विद्या और ज्ञान में वृद्धि होती है। छात्र और विद्वान लोग इसके पाठ से शिक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं और उनका ध्यान अध्ययन में अधिक केंद्रित होता है।
- परिवारिक समस्याओं का समाधान: जिन लोगों के परिवार में कलह या समस्याएं होती हैं, Parshuram Chalisa वे परशुराम चालीसा का पाठ करके उन समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। यह पाठ परिवार में शांति और सद्भावना बनाए रखने में मदद करता है और परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बढ़ाता है।
Parshuram Chalisa:परशुराम चालीसा
Parshuram Chalisa:परशुराम चालीसा श्री परशुराम पर आधारित एक भक्ति गीत है। Parshuram Chalisa कई लोगों ने श्री परशुराम को समर्पित त्योहारों पर परशुराम चालीसा का पाठ किया।
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण सरोज छवि,निज मन मन्दिर धारि।
सुमरि गजानन शारदा,गहि आशिष त्रिपुरारि॥
बुद्धिहीन जन जानिये,अवगुणों का भण्डार।
बरणों परशुराम सुयश,निज मति के अनुसार॥
॥ चौपाई ॥
जय प्रभु परशुराम सुख सागर।जय मुनीश गुण ज्ञान दिवाकर॥
भृगुकुल मुकुट विकट रणधीरा।क्षत्रिय तेज मुख संत शरीरा॥
जमदग्नी सुत रेणुका जाया।तेज प्रताप सकल जग छाया॥
मास बैसाख सित पच्छ उदारा।तृतीया पुनर्वसु मनुहारा॥
प्रहर प्रथम निशा शीत न घामा।तिथि प्रदोष व्यापि सुखधामा॥
तब ऋषि कुटीर रूदन शिशु कीन्हा।रेणुका कोखि जनम हरि लीन्हा॥
निज घर उच्च ग्रह छः ठाढ़े।मिथुन राशि राहु सुख गाढ़े॥
तेज-ज्ञान मिल नर तनु धारा।जमदग्नी घर ब्रह्म अवतारा॥
धरा राम शिशु पावन नामा।नाम जपत जग लह विश्रामा॥
भाल त्रिपुण्ड जटा सिर सुन्दर।कांधे मुंज जनेऊ मनहर॥
मंजु मेखला कटि मृगछाला।रूद्र माला बर वक्ष विशाला॥
पीत बसन सुन्दर तनु सोहें।कंध तुणीर धनुष मन मोहें॥
वेद-पुराण-श्रुति-स्मृति ज्ञाता।क्रोध रूप तुम जग विख्याता॥
दायें हाथ श्रीपरशु उठावा।वेद-संहिता बायें सुहावा॥
विद्यावान गुण ज्ञान अपारा।शास्त्र-शस्त्र दोउ पर अधिकारा॥
भुवन चारिदस अरु नवखंडा।चहुं दिशि सुयश प्रताप प्रचंडा॥
एक बार गणपति के संगा।जूझे भृगुकुल कमल पतंगा॥
दांत तोड़ रण कीन्ह विरामा।एक दंत गणपति भयो नामा॥
कार्तवीर्य अर्जुन भूपाला।सहस्रबाहु दुर्जन विकराला॥
सुरगऊ लखि जमदग्नी पांहीं।रखिहहुं निज घर ठानि मन मांहीं॥
मिली न मांगि तब कीन्ह लड़ाई।भयो पराजित जगत हंसाई॥
तन खल हृदय भई रिस गाढ़ी।रिपुता मुनि सौं अतिसय बाढ़ी॥
ऋषिवर रहे ध्यान लवलीना।तिन्ह पर शक्तिघात नृप कीन्हा॥
लगत शक्ति जमदग्नी निपाता।मनहुं क्षत्रिकुल बाम विधाता॥
पितु-बध मातु-रूदन सुनि भारा।भा अति क्रोध मन शोक अपारा॥
कर गहि तीक्षण परशु कराला।दुष्ट हनन कीन्हेउ तत्काला॥
क्षत्रिय रुधिर पितु तर्पण कीन्हा।पितु-बध प्रतिशोध सुत लीन्हा॥
इक्कीस बार भू क्षत्रिय बिहीनी।छीन धरा बिप्रन्ह कहँ दीनी॥
जुग त्रेता कर चरित सुहाई।शिव-धनु भंग कीन्ह रघुराई॥
गुरु धनु भंजक रिपु करि जाना।तब समूल नाश ताहि ठाना॥
कर जोरि तब राम रघुराई।बिनय कीन्ही पुनि शक्ति दिखाई॥
भीष्म द्रोण कर्ण बलवन्ता।भये शिष्या द्वापर महँ अनन्ता॥
शास्त्र विद्या देह सुयश कमावा।गुरु प्रताप दिगन्त फिरावा॥
चारों युग तव महिमा गाई।सुर मुनि मनुज दनुज समुदाई॥
दे कश्यप सों संपदा भाई।तप कीन्हा महेन्द्र गिरि जाई॥
अब लौं लीन समाधि नाथा।सकल लोक नावइ नित माथा॥
चारों वर्ण एक सम जाना।समदर्शी प्रभु तुम भगवाना॥
ललहिं चारि फल शरण तुम्हारी।देव दनुज नर भूप भिखारी॥
जो यह पढ़ै श्री परशु चालीसा।तिन्ह अनुकूल सदा गौरीसा॥
पृर्णेन्दु निसि बासर स्वामी।बसहु हृदय प्रभु अन्तरयामी॥
॥ दोहा ॥
परशुराम को चारू चरित,मेटत सकल अज्ञान।
शरण पड़े को देत प्रभु,सदा सुयश सम्मान॥
॥ श्लोक ॥
भृगुदेव कुलं भानुं,सहस्रबाहुर्मर्दनम्।
रेणुका नयना नंदं,परशुंवन्दे विप्रधनम्॥