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Padmanabha Dwadashi 2025

Padmanabha Dwadashi 2025 Mein Kab Hai: हिंदू धर्म में द्वादशी तिथि का अत्यंत आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। द्वादशी चंद्र कैलेंडर के प्रत्येक पखवाड़े का बारहवां दिन होता है। यह तिथि एकादशी के उपवास और आध्यात्मिक अभ्यासों के ठीक बाद आती है, और इसे उपवास अनुष्ठानों और पूजा को पूरा करने के लिए एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। Padmanabha Dwadashi 2025 द्वादशी को अक्सर भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है, जिन्हें ब्रह्मांड का संरक्षक माना जाता है। भक्त दिव्य आशीर्वाद, आध्यात्मिक शुद्धि, और व्यक्तिगत विकास के लिए इस दिन विभिन्न अनुष्ठान और प्रार्थना करते हैं।

Spiritual and physical importance of Padmanabha Dwadashi 2025 :द्वादशी का आध्यात्मिक और शारीरिक महत्व

Padmanabha Dwadashi 2025: द्वादशी का पालन करने से व्यक्ति को कई आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं।

1. एकादशी व्रत की पूर्णता द्वादशी एकादशी व्रत (उपवास) के समापन का दिन होता है और उपवास तोड़ने के लिए इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। उपवास तोड़ने का सही समय, जिसे पारण कहा जाता है, Padmanabha Dwadashi 2025 द्वादशी पर सूर्योदय के बाद और धार्मिक ग्रंथों द्वारा निर्दिष्ट समय के दौरान करना आवश्यक है। यह एकादशी के आध्यात्मिक लाभों को बनाए रखता है।

2. दैवीय कृपा और शुद्धि द्वादशी का पालन करने से आध्यात्मिक शुद्धि की भावना आती है, क्योंकि एकादशी का आत्म-अनुशासन और आत्म-नियंत्रण इस दिन आगे बढ़ता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से शांति, सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

3. दान और करुणा का भाव द्वादशी दान और करुणा का दिन भी है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या दान देने से सद्भाव, दयालुता और निस्वार्थता के मूल्यों को बढ़ावा मिलता है। द्वादशी पर किए गए ऐसे कार्य धन्य और लाभकारी माने जाते हैं।

4. शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है। द्वादशी उपवास मन और शरीर को सामंजस्य बिठाने में मदद करता है। यह मानसिक स्पष्टता और बेहतर एकाग्रता को भी बढ़ावा देता है, जिससे ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यासों पर बेहतर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

5. मोक्ष की ओर मार्ग मान्यता है कि द्वादशी पर उपवास और भक्ति का ईमानदारी से अभ्यास करने वाले लोग चेतना की उच्च अवस्था प्राप्त कर सकते हैं और मोक्ष (मुक्ति) की ओर अपना मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

Padmanabha Dwadashi 2025: Worship of special form of Lord Vishnu:पद्मनाभ द्वादशी 2025: भगवान विष्णु के विशेष स्वरूप की पूजा

Padmanabha Dwadashi 2025: पद्मनाभ द्वादशी आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। यह पापांकुशा एकादशी (Pasankusa Ekadasi) के ठीक अगले दिन होती है।

पद्मनाभ द्वादशी का महत्व:Importance of Padmanabha Dwadashi

यह व्रत श्री हरि विष्णु के अनंत पद्मनाभ स्वरूप को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास में जब सूर्य कन्या राशि में आते हैं, Padmanabha Dwadashi 2025 तब आने वाली द्वादशी को पद्मनाभ द्वादशी कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान श्री हरि क्षीरसागर में शयन करते हैं, और भगवान विष्णु की इसी विश्राम अवस्था को पद्मनाभ कहा जाता है। पद्मनाभ का अर्थ कमल भी है, क्योंकि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने विष्णु की नाभि-कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि की रचना की थी।

लाभ: जो व्यक्ति पद्मनाभ द्वादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। Padmanabha Dwadashi 2025 इस व्रत के प्रभाव से जीवन में धन-संपदा और वैभव की कमी नहीं होती है। विशेष पूजन से निर्धन भी अमीर बन जाते हैं और नि:संतानों को संतान सुख प्राप्त होता है।

पद्मनाभ द्वादशी 2025 तिथि: पद्मनाभ व्रत 2025 की तिथि 4 अक्टूबर है।

पद्मनाभ द्वादशी पूजा विधि (Puja Vidhi)

पद्मनाभ द्वादशी पर विधि-विधान से पूजा की जाती है। यहां पूजा की चरण-दर-चरण विधि दी गई है:

1. स्थापना: घर की पूर्व दिशा में एक लाल कपड़े पर भगवान पद्मनाभ का चित्र स्थापित करें।

2. कलश स्थापना: एक पीतल का कलश स्थापित करें। इस कलश में जल, रोली, और सिक्के डालें। कलश के मुख पर अशोक के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें, फिर विधिवत पूजन करें।

3. पूजा सामग्री: गाय के घी (गौघृत) का दीपक जलाएं, गुलाब की अगरबत्ती जलाएं, चंदन और लाल फूल चढ़ाएं।

4. भोग: गेहूं और गुड़ के दलिए का भोग लगाएं।

5. तुलसी अर्पण: 12 तुलसी पत्र चढ़ाएं।

6. मंत्र जाप: लाल चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 108 बार जाप करें: ॐ पद्मनाभाय नम:।।

7. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद दलिए का प्रसाद वितरित करें।

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द्वादशी पर क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts)

द्वादशी के दिन आध्यात्मिक लाभों को अधिकतम करने के लिए कुछ आचार संहिता का पालन करना महत्वपूर्ण है:

क्या करें (Do’s)क्या न करें (Don’ts)
एकादशी व्रत का पारण सही समय पर करें।भोजन में अति-लिप्तता से बचें; सादा, शाकाहारी भोजन करें। भारी, मसालेदार या तैलीय भोजन से बचें।
भगवान विष्णु की पूजा करें, मंदिर जाएं या घर पर शांतिपूर्ण स्थान पर पूजा करें।मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन न करें।
तुलसी के पौधे की पूजा करें (जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं)।नकारात्मक विचार या कार्य (जैसे गपशप या बहस) से बचें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या सुनें।तुलसी के पत्ते न काटें या तोड़ें।
दान-पुण्य करें, जैसे जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, या धन दान करना।दिन में सोने से बचें, क्योंकि इससे आध्यात्मिक योग्यता कम हो सकती है।
साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें।पैसे उधार देने या लेने जैसे वित्तीय लेनदेन से बचें।

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