Maa Siddhidhatri Puja Vidhi : सिद्धिदात्री को आठ सिद्धियों की देवी माना जाता है। भक्त पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से उनकी पूजा करके अष्ट सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि के 9वें दिन माता सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता है। आइए, विस्तार से जानते हैं नवरात्रि के 9वें दिन की पूजा विधि और भोग।
9वां दिन है, जिसे रामनवमी भी कहते हैं। इस दिन (Maa Siddhidhatri) मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री सिद्धियां और मोक्ष देती हैं इसलिए उनकी पूजा करने से सारे काम पूरे होते हैं और मोक्ष मिलता है। कुछ कहानियों के अनुसार, भगवान शिव ने भी Maa Siddhidhatri मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियां पाई थीं। आइए, जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करें, उन्हें क्या भोग लगाएं और इस दिन का क्या महत्व है।
Navratri 9th Day Maa Siddhidatri Puja : नवरात्रि का अंतिम यानी 9वां दिन है। नवरात्रि के 9वें दिन मां दुर्गा के के नवमं स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार Maa Siddhidhatri मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं।
सभी देवी-देवताओं को मां से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई हैं। भगवान शिव ने भी मां की तपस्या कर सिद्धियों को प्राप्त किया। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। नवरात्र में नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद नवरात्र का समापन माना जाता है।
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Siddhidatri Mata Koun Hai: सिद्धिदात्री माता कौन है
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। यह दिन बहुत खास है। Maa Siddhidhatri मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर बैठती हैं। उनकी पूजा में नौ तरह के फल और फूल चढ़ाए जाते हैं। उन्हें विद्या और कला की देवी सरस्वती का रूप भी मानते हैं।
माता सिद्धिदात्री के पास हैं 8 सिद्धियां:Mata Siddhidatri has 8 Siddhiyas
भक्त नवरात्रि के नौ दिनों तक उपवास और पूजा-अर्चना करके मां दुर्गा की कृपा पाते हैं और मनचाहा फल प्राप्त करते हैं। साथ ही, घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। देवी-देवता, गंधर्व, ऋषि और असुर भी माता सिद्धिदात्री की पूजा करके आठ सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं और अंत में मोक्ष प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि के 9वें पूजा विधि:9th puja method of Navratri
Maa Siddhidhatri: नवरात्रि के 9वें दिन कन्या पूजन किया जाता है. इस दिन 9 कन्याओं और एक लांगूर (बालक) का पूजन करने का विधान है। हालांकि, अपनी क्षमता के अनुसार 5 कन्याओं का पूजन भी किया जा सकता है। कन्या पूजन में कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दी जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है. यह पूजन श्रद्धा और सम्मान के साथ किया जाता है।
नवरात्रि के 9वें दिन का भोग:Offerings on the 9th day of Navratri
मां सिद्धिदात्री Maa Siddhidhatri को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के भोग लगाते हैं। हलवा, पूरी, चना, फल, खीर और नारियल जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। मान्यता है कि जामुनी या बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से विशेष फल मिलता है। भोग लगाने के बाद मां सिद्धिदात्री माता की विशेष रूप से आरती की जाती है।
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पूजा-विधि:Method of worship
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।
मां सिद्धिदात्री Maa Siddhidhatri को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।
नवमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र- ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
कन्या पूजन अति उत्तम-ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना अति उत्तम माना जाता है। कहते हैं कि नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करने से Maa Siddhidhatri मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं।
Aarti of Maa Siddhidhatri :मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।




