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Matangi Jayanti 2025

Matangi Jayanti 2025: हिन्दू धर्म मे माता मातंगी जयंती का विशेष महत्व है। माता मातंगी दशमहाविद्याओ में से नौंवी महाविद्या है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के दिन माता मातंगी की जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि आज के दिन ही माता मातंगी का धरती पर प्राकट्य हुआ था। इस लिए आज के दिन माता मातंगी की जयंती पूरे हर्सोल्लास के साथ मनाई जाती है। माता को राजमातांगी, सुमुखी माताजी, उच्छिष्ट माताजी, वश्यमातांगी तथा कर्णमाताजी आदि नामो से जानी जाती है।

माता मातंगी वाणी, संगीत और ज्ञान की अधिष्ठात्री मॉनी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कोई माता मातंगी का व्रत रखता है और सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है तो उसके दांपत्य जीवन को सुखी एवं समृद्ध होने का आशीर्वाद प्रदान करती है। Matangi Jayanti 2025 और गृहस्थ जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं। मां मातंगी की पूजा करने से व्यक्ति को वाणी, संगीत और कला में सिद्धि प्राप्त होती है।

Matangi Jayanti 2025 उनकी कृपा से वशीकरण और आकर्षण शक्ति बढ़ती है। मान्यता है कि यह पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है। आइये जानते है साल 2025 में मातंगी जयंती कब मनाई जाएगी? 29 या 30 अप्रैल, जानिए पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपाय

2025 में मातंगी जयंती कब है? When is Matangi Jayanti in 2025?

Matangi Jayanti 2025 Date Time Muhurat: साल 2025 में बैसाख मास की शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि प्रारम्भ हो रही है 29 अप्रैल 2025 को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर और तृतीया तिथि की समाप्ति होगी 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर इसलिए इस तिथि के अनुसार मातंगी जयंती 30 अप्रैल 2025 दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

Matangi Jayanti Puja Method मातंगी जयंती पूजा विधि

Matangi Jayanti Puja Vidhi: मातंगी जयंती के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवृत्र होकर स्नान आदि करके साफ व शुद्ध वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प ले। इसके बाद पूजस स्थल की अच्छे से साफ सफाई करके पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी स्थापित करके गंगाजल से शुद्ध करे। इसके उस चौकी पर माता की मूर्ति या फ़ोटो स्थापित करे।

Matangi Jayanti 2025 और माता के समक्ष धूप, दिप जलाए और माता को लाल फूल, अक्षत, आदि अर्पित करे। इसके बाद माता के इस मंत्र ‘ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा’ बोलते हुए जाप करें। Matangi Jayanti 2025 इसके बाद कथा पढे या फिर सुने और पूजा के अंत मे माता की आरती करके माता से मनोकामना पूर्ति की विनती करे।

Matangi Jayanti Remedies मातंगी जयंती उपाय

Matangi Jayanti Upay: मातंगी जयंती के दिन माता के करुणामयी रूप का ध्यान करते हुए 108 बिल्व पत्र और 108 ही कमल के पुष्प लेकर इन मंत्रों ॐ ही ऐं भगवती मतेंगश्वरी श्रीं स्वाहा। का उच्चारण करते हुए अर्पित करने से दांपत्य जीवन में चल रही हर समस्या से छुटकारा मिलता है।

इसके अलावा यदि आप के आर्थिक जीवन मे किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या आ रही है Matangi Jayanti 2025 तो माता मातंगी को अनार अर्पित करे और कमलगट्टे की लेकर इन ॐ हीं हीं हीं महा मातंगी प्रचिती दायिनी, लक्ष्मी दायिनी नमो नमः मंत्रो का जाप करने से आर्थिक संकटो से मुक्ति मिलती है।

story of matangi jayanti:मातंगी जयंती की कहानी

भगवान शिव के रूप में, देवी मातंगी अपने माथे पर एक अर्धचंद्राकार चंद्रमा पहनती हैं, और उनके अग्रभाग चारों दिशाओं की ओर निर्देशित होते हैं। इसलिए उन्हें वाग्देवी के नाम से भी जाना जाता है। Matangi Jayanti 2025 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी मातंगी भी देवी सरस्वती का एक रूप है। ब्रह्मयाल के अनुसार मतंग नाम के एक मुनि ने कांडबवन में बहुत तपस्या और कठिनाइयाँ कीं, जिसके कारण उनकी आँखों से एक दिव्य और उज्ज्वल प्रकाश आया और उन्होंने एक महिला का रूप धारण किया। तब से, इस महिला को ऋषि मतंग की बेटी के रूप में माना जाता है और इस तरह इसे मातंगी के नाम से जाना जाने लगा।

Importance of Matangi Jayanti:मातंगी जयंती का महत्व

ऐसा माना जाता है कि देवी मातंगी की पूजा करने से भक्तों को जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं, Matangi Jayanti 2025 सभी भय और कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं और इच्छाएं पूरी होती हैं। ललित कला, नृत्य और संगीत में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए भक्त देवी मातंगी की पूजा करते हैं।

Rituals of Matangi Jayanti:मातंगी जयंती का अनुष्ठान

इस दिन, भक्तों द्वारा देवी की पूजा करने के लिए मूर्ति को वेदी पर रखा जाता है। एक बार यह हो जाने के बाद, उन्होंने एक दीया जलाया और अनुष्ठान शुरू किया। भक्तों द्वारा पवित्र भोजन तैयार किया जाता है और फूल, नारियल और माला के साथ देवता को चढ़ाया जाता है। फिर भक्त आरती करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं, बाद में भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाता है।

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