
Lalita Panchami: हिंदू धर्म में, ललिता पंचमी का त्योहार देवी ललिता को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस विशेष दिन को ‘उपांग ललिता व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसे भक्तजन अपनी देवी के सम्मान में रखते हैं। यह पर्व विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में अत्यधिक लोकप्रिय है।
आइए, 2025 में Lalita Panchami ललिता पंचमी कब है, इसका क्या महत्व है और इसे कैसे मनाया जाता है, इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
Lalita Panchami 2025 kab Hai: ललिता पंचमी 2025 कब है?
साल 2025 में Lalita Panchami ललिता पंचमी शुक्रवार, 26 सितंबर को मनाई जाएगी। यह दिन शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन पड़ता है, जब देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप देवी स्कंदमाता की भी पूजा की जाती है।
महत्वपूर्ण तिथियां और मुहूर्त:Important dates and auspicious times:
• ललिता पंचमी 2025: 26 सितंबर, शुक्रवार
• पंचमी तिथि प्रारंभ: 26 सितंबर, सुबह 09:33 बजे
• पंचमी तिथि समाप्त: 27 सितंबर, दोपहर 12:04 बजे
• सूर्योदय (उज्जैन के अनुसार): 26 सितंबर, सुबह 06:20 बजे
• सूर्यास्त (उज्जैन के अनुसार): 26 सितंबर, शाम 06:15 बजे
Top rated products
-
Gayatri Mantra Jaap for Wisdom and Knowledge
View Details₹5,100.00 -
Kaal Sarp Dosh Puja Online – राहु-केतु के दोष से पाएं मुक्ति
View Details₹5,100.00 -
Saraswati Mantra Chanting for Intelligence & Academic Success
View Details₹11,000.00 -
Surya Gayatri Mantra Jaap Online
View Details₹1,000.00 -
Kuber Mantra Chanting – Invoke the Guardian of Wealth
View Details₹11,000.00
Who is Goddess Lalita: कौन हैं देवी ललिता?
देवी ललिता Lalita Panchami को दस महाविद्याओं में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण देवी माना जाता है। उन्हें ‘षोडशी’ और ‘त्रिपुर सुंदरी’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ललिता को देवी दुर्गा या शक्ति का अवतार माना जाता है। उन्हें ‘पंच महाभूतों’ (पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और आकाश) से भी जोड़ा जाता है।
पौराणिक कथाएं:
• एक मान्यता के अनुसार, देवी ललिता का प्राकट्य ‘भंडा’ नामक राक्षस का वध करने के लिए हुआ था, जो कामदेव की राख से उत्पन्न हुआ था। इसलिए ललिता पंचमी को देवी ललिता की ‘जयंती’ या प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
• एक अन्य कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल लोक समाप्त होने लगा और संपूर्ण पृथ्वी धीरे-धीरे जलमग्न होने लगी, तब सभी ऋषि-मुनियों ने माता ललिता देवी की उपासना की। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी प्रकट हुईं और इस विनाशकारी चक्र को थाम लिया, जिससे सृष्टि को नवजीवन मिला।
• पुराणों में यह भी वर्णित है कि जब सती अपने पिता दक्ष द्वारा अपमानित होकर अपने प्राण त्याग देती हैं, तो भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को अपने कंधों पर उठाकर चारों दिशाओं में घूमने लगते हैं। इस महाविपत्ति को देखकर भगवान विष्णु अपने चक्र से सती की देह को विभाजित कर देते हैं। तत्पश्चात भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा।
• कालिका पुराण जैसे विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में देवी ललिता के महत्व का वर्णन मिलता है। देवी ललिता गौर वर्ण की हैं, दो भुजाएं धारण करती हैं, और लाल कमल पर विराजमान हैं।
Kojagari Puja 2025 Date And Time: कोजागरी पूजा कब है? धरती पर पधारेंगी मां लक्ष्मी, नोट करें शुभ मुहूर्त और महत्व
Kojagari Puja 2025: कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima) हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, जिसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा…
Padmanabha Dwadashi 2025 Date: पद्मनाभ द्वादशी तिथि, महत्व, और भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा विधि
Padmanabha Dwadashi 2025 Mein Kab Hai: हिंदू धर्म में द्वादशी तिथि का अत्यंत आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। द्वादशी चंद्र…
Devi Skandmata: मंत्र, प्रार्थना, स्तुति, ध्यान, स्तोत्र, कवच और आरती
Devi Skandmata मां दुर्गा का दूसरा रूप हैं और माना जाता है कि वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं,…
ललिता पंचमी का महत्व और उपांग ललिता व्रत के लाभ:Importance of Lalita Panchami and benefits of Upang Lalita Vrat
ललिता पंचमी Lalita Panchami का व्रत ‘उपांग ललिता व्रत’ के नाम से जाना जाता है और इसे अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन देवी की पूजा और व्रत करने से भक्तों को immense शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त होता है।
यह व्रत रखने के कई लाभ बताए गए हैं:
• सुख, ज्ञान और धन की प्राप्ति: माना जाता है कि देवी की पूजा और व्रत से जीवन में सुख, ज्ञान और धन की वृद्धि होती है।
• समस्त कष्टों का निवारण: देवी ललिता के दर्शन मात्र से या उनकी पूजा से जीवन के सभी व्यक्तिगत और व्यावसायिक कष्ट तुरंत दूर हो जाते हैं।
• शक्ति और सामर्थ्य: यह व्रत भक्तों को अपार शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।
• संतोष और खुशी: देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को संतोष और खुशी का आशीर्वाद देती हैं।
• समृद्धि: देवी ललिता की पूजा से समृद्धि की प्राप्ति होती है।
उपांग ललिता व्रत और पूजा विधि:Upang Lalita fast and worship method
ललिता पंचमी के दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ देवी ललिता का व्रत रखते हैं और पवित्र अनुष्ठान करते हैं।
पूजा के प्रमुख अनुष्ठान इस प्रकार हैं:The major rituals of puja are as follows:
1. व्रत और उपवास: भक्तजन इस दिन कठोर व्रत और उपवास का पालन करते हैं।
2. देवी ललिता के साथ अन्य देवताओं की पूजा: देवी ललिता के साथ-साथ भगवान शिव और स्कंदमाता की भी शास्त्रानुसार पूजा की जाती है।
3. विशेष पूजा और मंत्र पाठ: देवी के सम्मान में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान किए जाते हैं। देवी ललिता को समर्पित वैदिक मंत्रों का पाठ या जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
4. सामुदायिक पूजा और मेले: कुछ स्थानों पर सामुदायिक पूजाएं आयोजित की जाती हैं, जहाँ सभी महिलाएं एक साथ प्रार्थना करती हैं। कई जगहों पर भव्य मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जहाँ हजारों श्रद्धालु बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं।
5. ललिता सहस्रनाम और ललिता त्रिशती का पाठ: गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में, देवी ललिता की पूजा देवी चंडी के समान ही ‘ललिता सहस्रनाम’, ‘ललितोपाख्यान’ और ‘ललिता त्रिशती’ जैसे पूजा अनुष्ठानों के साथ की जाती है।
6. षोडषोपचार विधि: भक्तगण इस दिन षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करते हैं।
देशभर में ललिता पंचमी का उत्सव:Celebration of Lalita Panchami across the country
ललिता पंचमी का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में इसकी लोकप्रियता विशेष रूप से अधिक है। इस दिन देवी ललिता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो दूर-दूर से पूजा अनुष्ठानों में भाग लेने आते हैं।
निष्कर्ष
ललिता पंचमी 2025, एक बार फिर देवी ललिता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शुभ अवसर लेकर आएगी। यह दिन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामुदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक उत्सवों का भी प्रतीक है। सच्चे मन और श्रद्धा से देवी की आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है।