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sawan ka vrat kaise rakhein : सावन शुरू होने वाला है और ऐसे में अगर कोई पहली बार सोमवार व्रत रखने वाला है तो उसे कई तरह के कन्फ्यूजन भी होंगे। यहां जानें आखिर कुंवारी कन्याएं किस तरह से व्रत रखकर भगवान शिव को प्रसन्न कर सकती हैं?

Sawan Somvar Vrat 2025 Puja Vidhi, Niyam and Samagri: ऐसा माना जाता है कि सावन में की गई पूजा से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि सावन सोमवार व्रत का नियम क्या है, कौन-कौन सी सामग्री पूजा के लिए आवश्यक होती है और पूजा की सही विधि क्या है…

sawan ka vrat

sawan somvar vrat easy shiva puja vidhi for unmarried girl: भगवान शिव और शिवभक्तों के लिए सावन का महीना सबसे प्रिय होता है। वहीं महिलाएं सावन के हर सोमवार का व्रत रखती हैं। कहते हैं कि सच्चे मन और सारे विधि-विधान से जिस किसी ने भी सावन भर पूजा की उसकी नैय्या खुद भगवान शिव ही लगाते हैं। बता दें कि हिंदू ग्रंथों में सावन के सोमवार का विशेष महत्व बताया गया है।

sawan ka vrat मान्यता तो ये भी है कि जब कोई कुंवारी कन्या सावन के सोमवार का व्रत रखने के साथ-साथ भगवान शिव को सच्चे मन से पूजती है तो उसे मनचाहा वर मिल जाता है। ऐसे में हर साल सावन के सोमवार का व्रत कई कुंवारी कन्याएं रखती हैं। वैसे इस व्रत को लेकर कोई कठोर नियम तो नहीं है, sawan ka vrat लेकिन कुछ बातों का ध्यान रख लिया जाए तो इस व्रत का पूरा-पूरा फल प्राप्त किया जा सकता है। तो चलिए जान लेते हैं कि कोई कुंवारी कन्या सावन सोमवार का व्रत कैसे रखें। साथ ही जानेंगे उन गलतियों के बारे में जो लोग अक्सर जाने-अनजाने कर दिया करते हैं।

कुंवारी कन्याएं ऐसे करें भगवान शिव की पूजा:This is how unmarried girls sawan ka vrat should worship Lord Shiva

अगर कोई कुंवारी कन्या पहली बार सावन का व्रत रख रही है और भगवान शिव की पूजा करने वाली है तो उसके लिए कुछ नियम है जो उन्हें हर सोमवार को पूरे करने हैं। सबसे पहले सुबह उठकर घर साफ कर लें। ये काम एक दिन पहले भी कर सकते हैं। sawan ka vrat इसके बाद पानी में कुछ बूंद गंगाजल डालकर नहा लें। पीले रंग के कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। आप पंचामृत से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकती हैं। शिवलिंग पर फूल, बेलपत्र और धतूरा चढाएं। इसके बाद ॐ नमः शिवाय का जाप कर लें।

कुंवारी कन्याएं ना करें ये काम:Unmarried girls should not do this work

कुंवारी कन्याएं कभी भी भगवान शिव को हल्दी ना लगाएं। कई लोग पंचामृत में तुलसी की पत्तियां भी डाल देते हैं। कुंवारी कन्याएं इस बात का ध्यान रखें कि शिवलिंग पर तुलसी बिल्कुल भी नहीं चढ़ानी होती है। sawan ka vrat सोमवार के व्रत के दिन आटा, बेसन, सत्तू और मैदे से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना है। इस दिन प्याज और लहसुन के सेवन से भी बचना है। सोमवार के दिन किसी भी तरह के अन्न का सेवन नहीं करना है।

सोमवार व्रत में करें ये काम:Do this work during Monday fast

sawan ka vrat सावन सोमवार के व्रत में सेंधा नमक ही खाएं। आप साबूदाना खिचड़ी के साथ-साथ दूध और दूध से बनी चीजें खा सकती हैं। इसके अलावा सीजनल फलों का सेवन किया जा सकता है। sawan ka vrat अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं sawan ka vrat तो इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि सावन में पूरे महीने नॉनवेज नहीं खाना है।

सावन के सोमवार व्रत की तिथियां (Sawan Somvar 2025 Dates)

  • पहला सावन सोमवार – 14 जुलाई 2025
  • दूसरा सावन सोमवार – 21 जुलाई 2025
  • तीसरा सावन सोमवार – 28 जुलाई 2025
  • चौथा और अंतिम सावन सोमवार – 04 अगस्त 2025

सावन सोमवार व्रत की आवश्यक सामग्री (Sawan Somvar Puja Samagri List)

  • गंगाजल (यदि उपलब्ध न हो तो शुद्ध जल भी चलेगा)
  • दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत के लिए)
  • चंदन और भस्म (विभूति)
  • बिल्वपत्र (बेलपत्र)
  • धतूरा और आक के फूल
  • सफेद फूल
  • धूप, दीपक और कपूर
  • रुद्राक्ष की माला
  • फल और मिठाई
  • चावल (अक्षत)
  • पानी (अर्घ्य और स्नान के लिए)
  • पूजा आसन (बैठने के लिए)
  • शिवलिंग (अगर उपलब्ध हो तो)
  • शंख और घंटी (आरती के लिए)
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सावन सोमवार की पूजा विधि (Sawan Somvar Vrat Puja Vidhi)

  • सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें और वहां भगवान शिव एवं माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पूजा की शुरुआत श्री गणेश की वंदना से करें।
  • शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, शक्कर, बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल और भस्म अर्पित करें।
  • साथ ही चंदन, पुष्पमाला, मौली, वस्त्र एवं जनेऊ भी अर्पित करें।
  • घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें।
  • अब माता पार्वती को दूध, जल, गुड़, चीनी, चावल, घी, धूप, दीप, फूल आदि समर्पित करें।
  • व्रत संकल्प के साथ ‘मम क्षेम-स्थैर्य-जयाभिवृद्ध्यर्थं सोमव्रतम् करिष्ये’ मंत्र का उच्चारण करें।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
  • सावन सोमवार व्रत की कथा श्रद्धापूर्वक सुनें या पढ़ें।
  • दिनभर उपवास रखें। फल, दूध या व्रत योग्य आहार लें। अन्न का सेवन न करें।
  • शाम को पुनः शिव परिवार की पूजा करें, दीप प्रज्वलित करें और व्रत कथा का दोबारा पाठ करें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
  • अगले दिन ब्राह्मण अथवा जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान दें। इसके बाद स्वयं भोजन कर व्रत पूर्ण करें।

सावन सोमवार व्रत नियम (Sawan Somvar Vrat Rules You Must Follow)

  • व्रत रखने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए और साफ-सुथरे, हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
  • इस दौरान मन और शरीर की पवित्रता बनाए रखें।
  • पूरे दिन सात्विक भोजन या फलाहार लें। व्रत के दौरान सिर्फ फल, दूध और जल का सेवन करें। sawan ka vrat नमक, मसाले और तली-भुनी चीजों से बचें।
  • संध्या के समय भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करना न भूलें।
  • व्रत के दौरान बाल और नाखून काटना वर्जित माना गया है।
  • इस व्रत में किसी की निंदा न करें, असत्य न बोलें और क्रोध व छल से दूर रहें।
  • पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करते रहें।
  • संयम, ब्रह्मचर्य और धार्मिक अनुशासन का पालन करें। जितना संभव हो उतना समय भक्ति में लगाएं।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें।
  • व्रत का पारण शिव पूजा के बाद ही करें, और यदि संभव हो तो पूरे सावन में प्रत्येक सोमवार को व्रत रखें।
  • सोमवार के दिन विशेष रूप से काले कपड़े पहनने से परहेज करें। हल्के रंगों या सफेद वस्त्र धारण करें।

सोमवार व्रत का महत्व (Somvar Vrat Katha Mahatv)

sawan ka vrat पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर व्रत और तपस्या की थी। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रेरणा से उन्होंने सोमवार का व्रत रखा, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। sawan ka vrat तभी से सोमवार व्रत को विशेष रूप से सौभाग्य प्राप्ति और वैवाहिक सुख के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। sawan ka vrat मान्यता है कि इस व्रत को पूरे नियमों और भक्ति भाव से करने पर जीवन की कठिनाइयों का अंत होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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