Karthika Deepam:कार्तिक दीपम या कार्तिगई दीपम या दीपम उत्सव दक्षिण भारत में मुख्य रूप से तमिल और तेलुगु समुदाय के बीच अत्यधिक उत्साह के साथ मनाए जाने वाला एक हिंदू त्यौहार है। कार्तिक दीपम तमिल के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों जैसे केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार तमिलों के बीच वैसे ही प्रसिद्ध है जैसे उत्तर भारत मे दीवाली है।
कार्तिक दीपम तिथि: शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024
Karthika Deepam यह त्यौहार कार्तिक के महीने में मनाया जाता है, इसीलिए इसे कार्तिगई दीपम कहा जाता है। यह त्यौहार उस दिन आता है जब चंद्रमा और पूर्णिमा का संयोग कार्तिगई से मेल खाता है। यह संयोग छह ग्रहों के रूप में दिखाई देता है।
छह नक्षत्रों की कहानी
छह नक्षत्रों के बारे में कई कहानियाँ और कविताएँ लिखी गई हैं। Karthika Deepam हिंदू मान्यताओं के अनुसार, छह आकाशीय देवी हैं, जिन्होंने छह शिशुओं को पाला और एक साथ छह चेहरों के भगवान के रूप में प्रकट हुए। उन्हें भगवान शिव के प्रथम पुत्र कार्तिकेय के रूप में जाना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने मुरुगन को अपनी तीसरी आंख से बनाया था। इन छह नक्षत्रों के नाम हैं, तत्पुरूष, अघोरम्, सद्योजातम, वामदेव, ईशान और अधोमुखम। भगवान मुरुगन को इन छह नामों से जाना जाता है। इसलिए, इन छः नक्षत्रों की पूजा करना उतनी ही प्रभावी है जितनी कि भगवान मुरुगन की पूजा करना। एक पंक्ति में दीप जलाकर उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा के दिन, भक्त घर के आंगन में एक दीपक जलाते हैं, इसी दिन को ही कार्तिगई दीपम और भगवान मुरुगन जयंती के रूप में भी जाना जाता है।
Karthika Deepam:कार्तिगई दीपम क्यों मनाते हैं?
भारत मे त्यौहार अधिक मनाए जाते हैं, खास बात यह है कि इन सबके पीछे कोई न कोई कारण, कहानी और उसके तथ्य हैं। Karthika Deepam कार्तिगई दीपम मनाने के पीछे भी कारण है। हम आपको बता रहे हैं कि दक्षिण भारत में कार्तिगई दीपम क्यों मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के सामने एक अंतहीन ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव के ऐसा करने का कारण दो भगवानों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनना था। Karthika Deepam भगवान ब्रह्मा और विष्णु दोनों में इस बात को लेकर मतभेद थे कि उनमें से सर्वश्रेष्ठ कौन है।
भगवान शिव ने इस ज्योति का अंत पता लगाने को कहा, परंतु दोनों ही इस कार्य में नाकाम रहे। लेकिन भगवान ब्रह्मा ने कहा कि उन्होंने भगवान शिव का सिर देखा है। जो कि सत्य नहीं था और भगवान शिव इस बात को समझ गए। इस झूठ के कारण भगवान शिव ने कहा कि भगवान ब्रह्मा का कोई मंदिर पृथ्वी पर नहीं बनेगा। इस प्रकार भगवान विष्णु भगवान को श्रेष्ठ घोषित कर दिया गया। Karthika Deepam इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। और बाद में यह दिन कार्तिकेय महादीपम के रूप में मनाया जाने लगा।
कार्तिक दीपम (Karthigai Deepam) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो भगवान शिव और भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की आराधना का प्रतीक है। इस दिन घरों और मंदिरों में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है।
कार्तिक दीपम का महत्व
- भगवान शिव का प्रकाश रूप: इस दिन भगवान शिव ने अरुणाचल (तिरुवन्नामलई) में ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होकर अपनी अनंत शक्ति का प्रदर्शन किया था।
- भगवान मुरुगन की पूजा: भगवान कार्तिकेय, जो भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं, Karthika Deepam को समर्पित यह पर्व उनके दिव्य तेज और शक्ति का उत्सव है।
- ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक: दीपम जलाना अज्ञानता से ज्ञान की ओर, और अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है।
पर्व की मुख्य विशेषताएं
- तिरुवन्नामलई का महोत्सव: तमिलनाडु के तिरुवन्नामलई में अरुणाचल मंदिर में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर की पहाड़ी पर एक विशाल दीपक प्रज्वलित किया जाता है, जो भगवान शिव के अग्नि रूप का प्रतीक है।
- घरों में दीप प्रज्वलन: लोग अपने घरों में दीये जलाते हैं, विशेष रूप से घर के सामने और तुलसी के पौधे के पास।
- भोग और प्रसाद: इस दिन विशेष रूप से गले के लिए मिठाई और पोरुल (तिल, गुड़, नारियल) से बने प्रसाद का वितरण किया जाता है।
पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान शिव और मुरुगन की पूजा करें।
- घी या तेल के दीपक जलाएं।
- मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ करें, विशेष रूप से शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” और कार्तिकेय से संबंधित भजनों का गायन करें।
धार्मिक संदेश
यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में ज्ञान और भक्ति का दीप जलाते हुए अज्ञान और अंधकार को दूर करना चाहिए।