प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार कामिका एकादशी व्रत 13 जुलाई को है। सावन माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि की कई विशेषताएं होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी जी की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है।
इस व्रत को करने से भगवान विष्णु हर मनोकामना पूरी करते हैं। मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को जीवन में किए गए समस्त पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होती है। तो चलिए जानते हैं कामिका एकादशी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में…
कामिका एकादशी व्रत कथा
एक गांव में एक बहुत ही बलवान क्षत्रिय रहता था। एक दिन उसकी किसी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्यु हो गई। अपने हाथों से ब्राह्मण की मृत्यु होने के बाद उसकी क्रिया करना का विचार उसके मन में आया। लेकिन, बाकी पंडितों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। साथ ही उसे बताया की तुम पर ब्रह्म हत्या का दोष है। पहले तुम्हें इस पाप से मुक्ति पानी होगी। इसके लिए तुम्हें प्रायश्चित करना होगा।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा की पाप से मुक्त होने के क्या उपाय हैं। तब ब्राह्मणों ने बताया कि सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्ति भाव से भगवान विष्णु का व्रत और पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिल जाएगी। क्षत्रिय ने पंडितों के बताए तरीके से व्रत किया।तब भगवान विष्णु ने उस क्षत्रिय को दर्शन दिए और उससे कहा कि तुम्हें ब्राह्मण हत्या से मुक्ति मिल गई है।
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कामिका एकादशी पूजा विधि
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शंख, चक्र, गदा धारण किए हुए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पुराणों के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाता है तो उनके पितर स्वर्गलोक में अमृत का पान करते हैं। साथ ही इस दिन जो व्यक्ति मंदिर, तुलसी के नीचे, केले के पेड़ के नीचे, पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाता है तो उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।