Janmashtami Vrat: जन्माष्टमी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हर साल धूमधाम के साथ मनाई जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2025) भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
जन्माष्टमी का व्रत। सनातन धर्म में जन्माष्टमी का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त उपवास रखते हैं और अगले दिन या कृष्ण-जन्म के बाद पारण करते हैं। इसके अलावा कुछ साधक विशेष पूजा करने के लिए भगवान कृष्ण के मंदिर भी जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन कुछ चीजों को करने से भगवान कृष्ण नाराज हो सकते हैं और आर्थिक स्थिति भी डगमगा सकती है।
Janmashtami Vrat par Kya Na kare जन्माष्टमी पर क्या न करें?
मास-मदिरा- सावन के महीने में भूलकर भी मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने तामसिक भोजन का सेवन करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।
तुलसी की पत्तियां- तुलसी की पत्तियां भगवान शिव को अर्पित नहीं करनी चाहिए। Janmashtami Vrat तुलसी जी माता लक्ष्मी का रूप मानी गयी हैं, जो विष्णु जी की पत्नी हैं। इसलिए शिव पूजा के दौरान भूलकर भी तुलसी की पत्तियों को न तो शिव जी को भोग लगाना चाहिए और न ही तुलसी की माला से शिव मंत्र का जाप करना चाहिए।
अपमान- कोशिश करें की इस महीने आप किसी का दिल न दुखाएं और वाद-विवाद से भी बचें। Janmashtami Vrat किसी का भी अपमान करने से बचें और न ही किसी का मजाक उड़ाएं।
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काले वस्त्र- धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ अवसर या फिर पूजा-पाठ के दौरान काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसलिए कामिका एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। Janmashtami Vrat भगवान विष्णु की असीम कृपा पाने के लिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ रहेगा।
भोग लगाते या बनाते समय ध्यान रखें 6 चीजें
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1- ध्यान रखें भोग में लहसुन या प्याज का इस्तेमाल न किया गया हो। भोग हमेशा सात्विक चीजों का ही लगाया जाता है।
2- स्नान करने के बाद ही भगवान का भोग तैयार करें।
3- कन्हा जी को भोग लगाने से पहले भोग का सेवन या चखना अच्छा नहीं माना जाता है।
4- बासी चीजों से भोग तैयार नहीं किया जाता है।
5- भोग बिना तुलसी की पत्तियों के नहीं लगता है।
6- आरती कर लेने के बाद भोग लगाकर आचवनी की जाती है और घंटी भी बजाते हैं।