Independence Day स्वतंत्रता दिवस: भारत माता की जय !
Independence Day 15 अगस्त भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस दिन, वर्ष 1947 में, भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ था। इस दिन को पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
Independence Day स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं?
- स्वतंत्रता का जश्न: यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम आजादी की कीमत क्या है। हमारे वीर शहीदों ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।
- राष्ट्रीय एकता: यह दिन हमें एकजुट होने और राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है।
- देशभक्ति का जगाना: इस दिन देशभक्ति की भावना जागृत होती है और हम अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाने की शपथ लेते हैं।
Independence Day स्वतंत्रता हर किसी को प्यारी लगती है। हम सभी बंधन से मुक्ति की ओर जाना चाहते हैं। स्वतंत्रता कई स्तर पर होती है – व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, आदि। जब हम एक राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र होते हैं तो उसका प्रभाव हमारे जीवन के हर पहलू पर पड़ता है। इस कारण से राष्ट्रीय स्वतंत्रता अत्यावश्यक है।
ऋषि-मुनियों की तपस्थली होने के कारण भारतवर्ष आध्यात्मिक दृष्टि से तो सदा ही विश्व-गुरु रहा है और रहेगा। परन्तु राजनीतिक रूप से हम भारतीयों ने Independence Day 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता पाई। हम सभी भारतवासी हर वर्ष इस दिवस को स्वतंत्रता दिवस के नाम से मनाते हैं।
स्वतन्त्रता दिवसस्य हार्दिक्यः शुभाशयाः!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाईयाँ!
Happy Independence Day!
अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥
(रावण वध के बाद लंका के वैभव को देखकर) श्रीरामचन्द्र बोलते हैं, “हे लक्ष्मण, लंका स्वर्णमयी होते हुए भी मुझे आकर्षक नहीं लगती क्योंकि जन्म देनेवाली माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ होती है।”
Shri Ramchandra says (on seeing Lanka’s magnificence after killing Ravana), “O Lakshmana, this Golden Lanka cannot entice me since my mother and motherland are more important and dearer for me, even more than the heavens.”
वन्दे भारत मातरम् यस्याङ्के भगवान् स्वयं श्रीराम-श्रीकृष्ण-रूपेण क्रीडति, विविध-लीलाः च करोति।
भारत माता को प्रणाम जिसकी गोद में भगवान स्वयं श्री राम और श्री कृष्ण के रूप में खेलते हैं और विभिन्न लीलाएँ करते हैं।
Salutations to Mother India in whose lap Lord Himself plays in the form of Shri Ram and Shri Krishna and performs various divine acts.
वन्दे ध्वजं त्रिवर्णं सर्वत्रम्।
मैं सभी जगह तिरंगे झंडे को नमन करता/करती हूँ।
I salute the tricolor flag everywhere.
रत्नाकरधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्।
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्याम वन्देभारतमातरम्॥
समुद्र आपके पाँवों को धोता है, हिमालय आपका मुकुट है तथा अनेक ब्रह्मर्षि एवं राजर्षि आपके शरीर में रत्न की भाँति जड़ित हैं। हे भारतमाता! मैं आपको नमन करता/करती हूँ।
The ocean washes your feet, the Himalaya is your crown and many Brahmarshi and Rajarshi (great sages) are embedded in your body like gems. O Mother India! I bow to you.
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
(विष्णुपुराण 2/3/1)
समुद्र से जो उत्तर दिशा में है और हिमालय से दक्षिण दिशा में है, उस देश का नाम भारतवर्ष है। वहाँ के लोगों को भारती (भारतीय) कहते हैं।
The name of the country which is north of the sea and south of the Himalayas is Bharatavarsha. The people there are called Bharati (Bharatiya).
अत्रापि भारतं श्रेष्ठं जम्बूद्वीपे महामुने।
यतो हि कर्मभूरेषा ततोऽन्या भोगभूमयः॥
(विष्णुपुराण 2/3/22)
हे महामुने! इस (सर्वश्रेष्ठ) जम्बूद्वीप में भी भारतवर्ष सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि यह कर्मभूमि है। इसके अतिरिक्त सभी (देश) भोग-भूमियाँ हैं।
O great sage! Even in this (best) Jambudweep, Bharatavarsha is the greatest because this is the place of performing Karma. Rest all (countries) are lands of reaping the fruits of past Karmas.
अत्र जन्म सहस्राणां सहस्रैरपि सत्तम।
कदाचिल्लभते जन्तुर्मानुष्यं पुण्यसञ्चयात्॥
(विष्णुपुराण 2/3/23)
हजारों जन्मो के हजारों पुण्यकर्मों के संचय से किसी जीव को यहाँ भारत भूमि पर मनुष्य जन्म प्राप्त होता है।
It is only after many thousand births and the aggregation of much merit that a living being is born in Bharat as a human.
गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्॥
(विष्णुपुराण 2/3/24)
देवता (इस आशय के) गीत गाया करते हैं कि वे भाग्यशाली हैं Independence Day जो अपने देवत्व की समाप्ति पर पुनः मनुष्य बनकर स्वर्ग और मोक्ष का मार्ग बने हुए भारत देश में जन्म लेते हैं।
Even the gods sing that they are fortunate who, after the end of their godhood, become human again and are born in Bharat, which is the path to heaven and salvation.
यस्यां वृक्षा वानस्पत्या ध्रुवास्तिष्ठन्ति विश्वहाः।
पृथिवीं विश्वधायसं धृतामच्छावदामसि॥
जिस मातृभूमि पर वृक्ष तथा समस्त वनस्पतियॉँ स्थित हैं तथा सभी स्थिर होकर रहते हैं, उस विश्वम्भरा पृथ्वी के गुण-गौरव का हम गान करते हैं।
We sing the glory of that motherland of ours on which the trees, vegetation and all other creatures always exist firmly.
यस्यां समुद्र उत् सिन्धुरापो यस्यामन्नं कृष्टयः संबभूवुः।
यस्यामिदं जिन्वति प्राणदेजत्सा नो भूमिः पूर्वपेये दधातु॥
(अथर्ववेद 12/1/3)
समुद्र और नदियों का जल जिसमें गूथा हुआ है, जिसमें खेती करने से अन्न प्राप्त होता है, जिसपर सभी जीवन जीवित है, वह मातृभूमि हमें जीवन प्रदान करे।
On Her is woven together Ocean and River Waters; in Her is contained Food which She manifests when ploughed. In Her are alive all Lives; May She bestow us with life.
माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः।
(अथर्ववेद 12/1/12)
भूमि हमारी माता है, हम पृथ्वी के पुत्र हैं।
The land is our mother, we are the children of the earth.
ग्रीष्मस्ते भूमे! वर्षाणि शरद्धेमन्तः शिशिरो वसन्तः।
ऋतवस्ते विहिता हायनीरहोरात्रे पृथिवी नो दुहाताम्॥
(अथर्ववेद 12/1/36)
हे पृथ्वी! तुम्हारी यह छः ऋतुएँ – ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमन्त, सर्दी और वसन्त जो प्रति वर्ष आती हैं और जो ये दिन-रात होते हैं, वे हमें सदा समृद्धि प्रदान करें।
O Earth, may the six seasons – Grishma (Summer), Varsha (Rains), Sharad (Autumn), Hemanta (early Winter), Shishira (Winter) and Vasant (Spring) coming in a year and day and night bestow upon us all prosperities.