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Diwali: दिवाली: बाहरी उत्सव से आंतरिक प्रकाश की ओर एक यात्रा

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Diwali: दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में मनाया जाने वाला एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह केवल दीप जलाने और खुशियाँ मनाने का पर्व नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। ऐसा माना जाता है कि यह उत्सव भगवान श्री रामचंद्र जी के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या में चक्रवर्ती सम्राट के रूप में विराजमान होने की खुशी में मनाया गया था, जब पूरी अयोध्या दीपों से प्रकाशित हो उठी थी।

Diwali
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दीपावली (Diwali) का वास्तविक अर्थ और हमें क्या नहीं करना चाहिए?

आज हम घरों को सजाते हैं, दीपक जलाते हैं, लेकिन क्या हम दीपावली के आंतरिक स्वरूप को समझते हैं? अक्सर देखने में आता है कि लोग दीपावली के शुभ अवसर पर जुआ खेलने लगते हैं। लोग सोचते हैं कि “साल भर नहीं खेलते पर दीपावली को तो खेलें!” लेकिन क्या कहीं ऐसा लिखा है कि आप दीपावली पर वो अपराध करें जिसमें कलियुग का वास रहता है?

पूज्य महाराज Maharaj श्री हमें स्पष्ट रूप से बताते हैं कि द्यूत क्रीड़ा (जुआ खेलना), शराब पीना, मांस खाना, परस्त्री गमन (व्यभिचार करना), स्वर्ण चोरी करना, और हिंसा करना – ये सभी कार्य कलियुग के निवास स्थान हैं। इन आसुरी प्रवृत्तियों वाले कार्यों से हमें बचना चाहिए। धर्मराज युधिष्ठिर और महाराज नल दमयंती जैसे बड़े-बड़े पवित्र चरित्र भी द्यूत क्रीड़ा के कारण भारी विपत्तियों में पड़े थे। यह समझना आवश्यक है कि अधर्म के धन से कभी सुख-शांति नहीं मिलती, बल्कि इससे परिवार बिखर जाता है और अशांति पैदा होती है।

महाराज जी दृढ़ता से यह संदेश देते हैं कि यदि आप सुख और शांति प्राप्त करना चाहते हैं, तो इन व्यसनों और गंदे आचरणों को छोड़ दें। यह त्याग ही सबसे बड़ा उत्सव है और यह आपको मानसिक शांति और उन्नति प्रदान करेगा।

दीपावली पर क्या करें और कैसे जलाएं आंतरिक दीप?

तो, दीपावली Diwali पर हमें क्या करना चाहिए? हमें अपने प्रभु का भजन करना चाहिए, अपने प्रिय प्रीतम का या भगवत विग्रह का ध्यान करना चाहिए। दीपक जलाकर, खूब गुरु मंत्र और नाम जप करना चाहिए, विशेषकर रात 12 बजे तक, क्योंकि इससे कई गुना बढ़कर लाभ मिलता है। ठाकुर जी को भोग लगाएं और आरती करें।

दीपावली Diwali 2025 का आंतरिक स्वरूप हमारे हृदय में भक्ति के दीप और प्रेम की बाती जलाने से संबंधित है। जैसे घर में दीपक जलाने से बाहरी अंधेरा दूर होता है, वैसे ही हमारे हृदय का अंधकार ज्ञान के प्रकाश से ही मिटेगा। यह भक्ति का दीपक और प्रेम की बाती किसी बाजार में नहीं मिलती, यह साधु संगति (भगवत प्रेमी महात्माओं का संग) से ही प्राप्त होती है।

जब यह ज्ञान का प्रकाश हृदय में प्रकट होता है, तब चिंता, शोक, दुख, और मृत्यु आदि का भय नष्ट हो जाता है। हमें यह समझना चाहिए कि हम शरीर नहीं हैं, बल्कि हमारा स्वरूप सच्चिदानंद है, ईश्वर का अंश है। Diwali जब यह बात पता चल जाती है कि मैं कौन हूँ, तो व्यक्ति आनंद से भर जाता है, मस्त हो जाता है और आत्मा राम बन जाता है। यह समझना कि “मैं भगवान का अंश हूँ” और भगवत प्राप्ति करना ही हमारा परम धर्म है, एक गृहस्थ को भी महात्मा बना देता है।

अपने अंदर के अंधकार को दूर करने के लिए, हमें नाम जप और भक्ति करनी चाहिए। यह आंतरिक दीपावली यदि जल गई, तो आप जन्म-मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे।

एक दृढ़ संकल्प लें: पूज्य महाराज Maharaj जी हम सभी से यह भेंट मांगते हैं कि इस दीपावली पर हम सभी गलत आचरण, शराब, मांस, व्यभिचार, जुआ, चोरी और हिंसा को त्यागने का दृढ़ संकल्प लें। यह संकल्प लेना ही अपने आप में सबसे बड़ा उत्सव है, और इससे हमारा समाज एक धार्मिक, शांतिप्रिय और परमानंद में डूबने वाला समाज बनेगा। Diwali श्री कृष्ण स्वयं आपकी सहायता करेंगे और आपको इन व्यसनों को छोड़ने की सामर्थ्य प्रदान करेंगे, क्योंकि वे हर पल आपके साथ हैं

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