Gudi Padwa 2025

Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सभी पहलु जुड़े हुए हैं।ह दिन न केवल महाराष्ट्र में रह रहे लोगों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक नई शुरुआत, खुशी और समृद्धि के आगमन का संदेश लेकर आता है।

Gudi Padwa 2025:गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा Gudi Padwa 2025 हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर पर फहराने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है। यह दिन वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है और इसे फसल उत्सव के रूप में माना जाता है। कई अन्य राज्यों में इस पर्व को संवत्सर पड़वो, उगादि, चेती, नवारेह, साजिबु नोंगमा पानबा चीरोबा आदि नामों से जाना जाता है। कई लोगों का मानना ​​है कि इस दिन सोना या नई कार खरीदना शुभ होता है।

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाने वाला गुड़ी पड़वा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो खासतौर पर महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा वसंत ऋतु का त्यौहार है

Gudi Padwa 2025 जो मराठी हिंदुओं के लिए पारंपरिक नए साल का प्रतीक है। यह चैत्र महीने (मार्च-अप्रैल) के पहले दिन चंद्र-सौर हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार रंगोली, एक विशेष गुड़ी ध्वज (फूलों, आम और नीम के पत्तों की माला, ऊपर से उलटे हुए मुकुट) के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि इसमें कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी छिपा हुआ है। 

Gudi Padwa 2025:गुड़ी पड़वा 2025: तिथि और मुहूर्त

गुड़ी पड़वा 30 मार्च 2025, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन को खास बनाती है इसकी तिथि, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक नए साल की शुरुआत होती है। यह दिन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद अहम है, क्योंकि यह मराठी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च को सायं  04 बजकर 27 मिनट पर होगी और 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि गणना अनुसार 30 मार्च को गुड़ी पड़वा मनाया जाएगा। इस दिन से चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ होगा।

Gudi Padwa 2025 गुड़ी पड़वा की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता

गुड़ी पड़वा के दिन के साथ जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। इनमें से एक प्रमुख कथा है छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी, जो इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाने का कारण बनती है। कहा जाता है कि इसी दिन शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को पराजित कर विजय प्राप्त की थी। विजय के प्रतीक स्वरूप उन्होंने विजय ध्वज फहराया, जो गुड़ी पड़वा के दिन की परंपरा बन गई।

क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा?

Gudi Padwa 2025:गुड़ी पड़वा का महत्व न केवल धार्मिक रूप से है, बल्कि यह जीवन के हर पहलु में शुभता और समृद्धि की प्रतीक भी है। इस दिन घरों में पताका (झंडा) फहराया जाता है, जो यह दर्शाता है कि इस घर में समृद्धि और सुख का आगमन होने वाला है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती है, जिसमें देवी भगवती की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा करना भी विशेष महत्व रखता है,

क्योंकि वह सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं।
इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, और लोग इस दिन को हर्षोल्लास, परिवार के साथ समय बिताने और नए साल के साथ जीवन में नई ऊर्जा और आशा लेकर मनाते हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए KARMASU.IN उत्तरदायी नहीं है।

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