Modak ka bhog:गणेश चतुर्थी पर मोदक का भोग: एक दिलचस्प कहानी

Ganesh Chaturthi 2024:गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाना एक बहुत ही लोकप्रिय परंपरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों मोदक गणेश जी को इतना प्रिय है? इस प्रश्न का उत्तर कई प्राचीन कहानियों में छिपा हुआ है।

Ganesh ji ko kyo lagate hai Modak ka bhog: भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव की शुरुआत होती है. इस दौरान लोग अपने घर गाजे बाजे के साथ बप्पा का स्वागत करते हैं. गणेश उत्सव के दौरान गणेश जी की स्थापना कर लोग विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं और बप्पा को मोदक का भोग लगाते हैं. लेकिन बप्पा की पूजा में मोदक भोग लगाना क्यों जरूरी होता है. इसके पीछे की वजह क्या है?

Ganesh Chaturthi Modak bhog : गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि मोदक के बिना गणेश चतुर्थी की पूजा अधूरी मानी जाती है. इस दिन बप्पा को 21 मोदकों का भोग लगया जाता है. वैसे तो लंबोदर को बहुत सी मिठाईयां बहुत सी मिठाइयां पसंद हैं. लेकिन मोदक का भोग लगाना इतना जरूरी क्यों माना जाता है. पुराणों में इससे जुड़ी कहानी का वर्णन मिलता है.

Modak ka bhog

Modak ka bhog:एक लोकप्रिय कथा

एक कथा के अनुसार, जब देवी पार्वती स्नान कर रही थीं, तब उन्होंने अपने शरीर से उभरे हुए मिट्टी से एक पुत्र की रचना की। उन्होंने उस पुत्र को गणेश नाम दिया और उसे द्वारपाल बना दिया। जब भगवान शिव घर लौटे और उन्हें द्वार पर रोक दिया गया, तो क्रोधित होकर उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया।

देवी पार्वती के विलाप सुनकर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर लेकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया। इस प्रकार गणेश जी का एक हाथी का सिर हो गया। इस घटना के बाद, देवी पार्वती ने गणेश जी को बहुत सारे मिष्ठान खिलाए, जिनमें मोदक भी शामिल थे।

कहा जाता है कि मोदक खाने के बाद गणेश जी का गुस्सा शांत हो गया और वह बहुत प्रसन्न हुए। तभी से मोदक को गणेश जी का प्रिय भोग माना जाता है।

Modak ka bhog:गणेश जी को खिलाएं मोदक

Modak ka bhog:युद्ध के दौरान दांत टूटने की वजह से गणेश जी को भोजन चबाने में परेशानी होने लगी. बप्पा की ऐसी स्थिति को देखकर माता पार्वती ने उनके लिए मोदक तैयार करवाए. मोदक बहुत ही मुलायम होते हैं और उन्हें चबाना भी नहीं पड़ता है. इसलिए गणेश जी ने पेट भर कर मोदक खाए. जिसके बाद से ही मोदक गजानंद का प्रिय व्यंजन बन गया.

Kyu lagate hai 21 Modak ka bhog:क्यों लगाते हैं 21 मोदक का भोग?

कथा के अनुसार, एक बार जब भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश जंगल में ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूइया से घर गए थे. यहां पहुंचते ही भगवान शिव और गणेश को भूख लगने लगी, जिसके बाद उन्होंने सभी के लिए भोजन का प्रबंध किया है. खाना खाने के बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की भूख शांत हो गई, लेकिन गणपति बप्पा का पेट कुछ भी खाने से भर ही नहीं रहा था. बप्पा की भूख शांत कराने के लिए अनुसूया ने उन्हें सभी प्रकार के व्यंजन खिलाए, लेकिन उनकी भूख शांत ही नहीं हुई.

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Modak ka bhog:मोदक चढ़ाने की परंपरा

Modak ka bhog:गणेश जी की भूख शांत नहीं होने पर देवी अनुसूइया ने सोचा कि शायद कुछ मीठ उनका पेट भरने में मदद कर सकता है. जिसके बाद उन्होंने गणेश जी को मिठाई का एक टुकड़ा दिया और उसे खाते ही गणपति बप्पा को डकार आ गई और उनकी भूख शांत हुई. गणेश जी भूख शांत होते ही भगवान शिव ने भी 21 बार डकार ली और उनकी भूख शांत हो गई. जिसके बाद माता पार्वती के पूछने पर देवी अनुसूइया ने बताया कि वह मिठाई मोदक थी. जिसके बाद से ही गणेश पूजन में मोदक चढ़ाने का परंपरा शुरू हुई.

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