Ganesh bhagwan भगवान गणेश को दूर्वा क्यों अर्पित की जाती है, इसके पीछे कई कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक राक्षस था जिसका नाम अनलासुर था। वह बहुत शक्तिशाली था और उसने देवताओं और ऋषियों को बहुत परेशान किया था। देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव ने कहा कि अनलासुर का वध केवल भगवान गणेश के द्वारा ही किया जा सकता है।

गणेश जी की व्रत कथा |  Ganesh Chaturthi Vrat Katha In Hindi

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भगवान (Gansh)गणेश ने अनलासुर से युद्ध किया और उसे मार डाला। युद्ध के बाद, भगवान गणेश के पेट में बहुत जलन होने लगी। कश्यप ऋषि ने भगवान गणेश को दूर्वा खाने के लिए दी। दूर्वा खाने से भगवान गणेश के पेट की जलन दूर हो गई। तब से ही भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित की जाने लगी।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश ने एक राक्षस का वध किया। उस राक्षस के शरीर से निकला विष भगवान गणेश के पेट में चला गया। विष के कारण भगवान गणेश के पेट में बहुत जलन होने लगी। देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव ने कहा कि भगवान गणेश को दूर्वा खाने के लिए दी जाए। दूर्वा खाने से भगवान गणेश के पेट की जलन दूर हो गई। तब से ही भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित की जाने लगी।

भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने के पीछे एक अन्य मान्यता भी है। मान्यता है कि दूर्वा एक पवित्र घास है जो भगवान गणेश को बहुत प्रिय है। दूर्वा को अमृता, अनंता और महौषधि भी कहा जाता है। दूर्वा अर्पित करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।

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