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  • Create Date October 3, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

हनुमत्पञ्चरत्नस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो हनुमान जी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है, जो रामायण के लेखक भी हैं।

स्तोत्र का अर्थ इस प्रकार है:

हे हनुमान, आप भगवान राम के परम भक्त हैं। आप भगवान राम की भक्ति में लीन हैं। आप भगवान राम के कार्यों में हमेशा तत्पर रहते हैं। आप भगवान राम के भक्तों के लिए आदर्श हैं।

आपके पास सभी शक्तियां हैं। आप सभी बाधाओं को दूर कर सकते हैं। आप सभी भक्तों को उनकी इच्छाओं को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

मैं आपके चरणों में अपना सिर रखता हूं और आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे आपकी कृपा प्रदान करें। आप मुझे सभी बाधाओं से दूर रखें और मुझे भगवान राम की भक्ति प्राप्त करने में मदद करें।

हे हनुमान, आप मेरे लिए आदर्श हैं। मैं आपकी तरह भगवान राम का भक्त बनना चाहता हूं। कृपया मुझे आपकी कृपा प्रदान करें।

स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है:

**शंकरसुवन केसरीनंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन। **विद्यावान गुणी अति चातुर, रामकाज करिबे को आतुर। **प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया। **सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा, विकट रूप धरि लंक लंका जावा। **भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र के काज संवारे। **लाय सजीवन लखन जियाए, श्रीरघुवीर हरषि उर लाए। **रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई। **सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं। **सनकादिक ब्रह्मादिक मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा। **जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते। **तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा। **तुम बिना नहिं कवन सुभाय, राम लखन सीता सहित जाय। **अबकी अवतार तुम कबहूँ, मोहि दिखाई दर्शन देहूँ। पूर्ण करो दीनबंधु हमारी, जो इच्छा मन में होय तुम्हारी।

स्तोत्र का अनुवाद इस प्रकार है:

हे हनुमान, आप शंकर के पुत्र हैं और केसरी के पुत्र हैं। आपका तेज पूरे जगत को प्रकाशमान करता है। आप विद्वान हैं और गुणी हैं। आप बहुत ही चतुर हैं और भगवान राम के कार्यों को करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

आप भगवान राम के चरित्रों को सुनने के लिए रस लेते हैं और आपके हृदय में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता बसते हैं।

आप सूक्ष्म रूप धारण करके सीता को दिखाई दिए, विकट रूप धारण करके लंका को जलाया और भीम रूप धारण करके असुरों का संहार किया। आपने भगवान राम के कार्यों को पूरा किया।

आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवित किया और श्रीराम ने आपको भरत के समान अपना भाई माना।

आपकी महिमा का बखान हजारों मुख से किया जाता है और श्रीराम ने आपके गले में अपना कंठ लगाया।

संकर्षण, ब्रह्मा, विष्णु, शिव, नारद, सरस्वती और अन्य सभी देवता आपके गुणों का बखान करते हैं।

यम, कुबेर और दिगपाल सहित सभी देवता आपका ध्यान करते हैं।

आपने सुग्रीव की सहायता की और उसे भगवान राम से मिलाया। आपके बिना भगवान राम, लक्ष्मण और सीता कहीं नहीं जा सकते।

मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि मुझे अपनी कृपा प्रदान करें और मुझे भगवान राम की भक्ति प्राप्त करने में मदद करें।

स्तोत्र का महत्व:

  • यह स्तोत्र हनुमान जी की भ

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