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  • Create Date October 27, 2023
  • Last Updated October 27, 2023

स्वास्वामियुगलाशतकम् एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और मिलन का वर्णन करता है। स्वास्वामियुगलाशतकम् की रचना स्वामी युगल शरण जी द्वारा की गई थी।

स्वस्वामियुगलाशतकम् में 8 श्लोक हैं। प्रत्येक श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण और राधा की एक अलग विशेषता की स्तुति करते हैं।

प्रथम श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "कृष्णाधिपति" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे राधा के स्वामी हैं।

दूसरे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "गोविन्द" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे गोपियों के प्रिय हैं।

तीसरे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "मुरलीवादिन" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे बांसुरी बजाते हैं।

चौथे श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "वृन्दावननिवासिन" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे वृंदावन में रहते हैं।

पाँचवें श्लोक में, भक्त राधा को "कृष्णाप्रिया" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे कृष्ण की प्रिय हैं।

छठे श्लोक में, भक्त राधा को "गोपीकुलवनिता" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे गोपियों में से एक हैं।

सातवें श्लोक में, भक्त राधा को "कृष्णसखा" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे कृष्ण की मित्र हैं।

आठवें श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण और राधा से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अपनी कृपा और आशीर्वाद प्रदान करें।

स्वस्वामियुगलाशतकम् एक शक्तिशाली भक्तिपूर्ण अभ्यास है जो भक्तों को भगवान कृष्ण और राधा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण और राधा के साथ एक गहरी आध्यात्मिक संबंध विकसित करने में भी मदद कर सकता है।

स्वस्वामियुगलाशतकम् के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और मिलन का वर्णन करता है।
  • यह स्तोत्र एक शक्तिशाली भक्तिपूर्ण अभ्यास है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण और राधा के साथ एक गहरी आध्यात्मिक संबंध विकसित करने में मदद कर सकता है।

यहाँ स्वास्वामियुगलाशतकम् के कुछ श्लोकों का अनुवाद दिया गया है:

श्लोक 1

अर्थ:

हे कृष्णाधिपति, हे गोविन्द, हे मुरलीवादिन, हे वृन्दावननिवासिन, कृपा करके मेरे मन में निवास करें।

श्लोक 2

अर्थ:

हे कृष्णाप्रिया, हे गोपीकुलवनिता, हे कृष्णसखा, कृपा करके मुझे अपने प्रेम में लीन करें।

श्लोक 3

अर्थ:

हे कृष्ण और राधा, आप दोनों ही मेरे लिए सर्वस्व हैं। मैं आप दोनों के बिना नहीं रह सकता।

स्वस्वामियुगलाशतकम् एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण और राधा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

स्वस्वामियुगलाष्टकम् swaswamiyugalashtakam


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