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- Create Date October 15, 2023
- Last Updated July 29, 2024
सत्यव्रतोक्तादमोदारस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र सत्यव्रत नामक एक राजा द्वारा रचा गया था, जो भगवान शिव के भक्त थे।
स्तोत्र में, सत्यव्रत भगवान शिव की महिमा और गुणों का वर्णन करते हैं। वे भगवान शिव को ब्रह्मांड का सृजनकर्ता, संहारकर्ता और पालनहार कहते हैं। वे भगवान शिव को सभी देवताओं और शक्तियों का स्वामी कहते हैं।
स्तोत्र में, सत्यव्रत भगवान शिव से अपने भक्तों की रक्षा करने और उन्हें मोक्ष प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।
स्तोत्र के कुछ अंश इस प्रकार हैं:
सत्यव्रत उवाच
नमस्ते रुद्राय शर्वाय शूलपाणये, नमस्ते नीलकंठाय त्रिनेत्राय, नमस्ते गौरीपतिाय चंद्रशेखराय, नमस्ते त्रिपुरांतकाय महादेवाय।
अर्थ:
सत्यव्रत कहते हैं,
हे रुद्र! हे शर्व! हे शूलधारी! हे नीलकंठ! हे त्रिनेत्र! हे गौरीपति! हे चंद्रशेखर! हे त्रिपुरांतक! हे महादेव!
नमस्ते भस्मधारिणे जगत्पते, नमस्ते त्रिलोकनाथाय नमस्ते, नमस्ते वृषभवाहनाय नमस्ते, नमस्ते शरणागतवत्सलाय।
अर्थ:
हे भस्मधारी! हे जगत्पति! हे त्रिलोकनाथ! हे नमस्ते! हे वृषभवाहन! हे नमस्ते! हे शरणागतवत्सल! हे नमस्ते!
नमस्ते मृत्युंजयाय नमस्ते, नमस्ते सर्वभयहरणे, नमस्ते सर्वार्थसाधकाय नमस्ते, नमस्ते सर्वलोकनायकाय।
अर्थ:
हे मृत्युंजय! हे नमस्ते! हे सर्वभयहरणे! हे नमस्ते! हे सर्वार्थसाधक! हे नमस्ते! हे सर्वलोकनायक! हे नमस्ते!
सत्यव्रतोक्तादमोदारस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर उन लोगों द्वारा पढ़ा जाता है जो भगवान शिव के भक्त हैं या जो उनकी कृपा चाहते हैं।
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