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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated November 10, 2023
Srihatkeshvarashtakam
श्रीहाटकेश्वराष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के एक रूप, हाटकेश्वर की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद:
श्लोक 1
"मैं हाटकेश्वर की स्तुति करता हूं, जो चंद्रमा के समान सुंदर हैं। उनकी ललाट पर तीसरा नेत्र है और उनके सिर पर त्रिशूल है।"
श्लोक 2
"वे सभी दुखों को दूर करने वाले हैं और सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं। वे ज्ञान और भक्ति के दाता हैं।"
श्लोक 3
"उनके नाम और रूप में ही सभी शक्तियां समाहित हैं। वे सभी देवताओं और ऋषियों के द्वारा पूजनीय हैं।"
श्लोक 4
"जो भक्त श्रद्धापूर्वक हाटकेश्वर की स्तुति करते हैं, वे सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।"
श्लोक 5
"हे हाटकेश्वर, आप मेरे गुरु, भगवान शिव के रूप हैं। मैं आपको अपना सब कुछ अर्पित करता हूं।"
श्लोक 6
"हे हाटकेश्वर, मुझे अपने भक्तों में शामिल करें और मुझे अपने दर्शन प्रदान करें।"
श्लोक 7
"हे हाटकेश्वर, आप समस्त ब्रह्मांड के स्वामी हैं। आप मेरे सभी दुखों को दूर करें और मुझे सुख प्रदान करें।"
श्लोक 8
"हे हाटकेश्वर, आप मेरे जीवन के मार्गदर्शक हैं। मुझे अपने मार्ग पर चलने में सहायता करें।"
Srihatkeshvarashtakam
श्रीहाटकेश्वराष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए उपयोगी है, चाहे उनकी कोई भी धार्मिक मान्यता हो।
स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
- भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
- पापों से मुक्ति प्राप्त करने में मदद करता है।
- मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।
स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों का अर्थ निम्नलिखित हैं:
- हाटकेश्वर - भगवान शिव का एक रूप
- आदि शंकराचार्य - एक महान हिंदू संत और दार्शनिक
- स्तवन - स्तुति
- चंद्रमा - एक चमकदार ग्रह
- तीसरा नेत्र - ज्ञान का प्रतीक
- त्रिशूल - शक्ति का प्रतीक
- दुख - पीड़ा
- इच्छा - चाहना
- ज्ञान - बुद्धि
- भक्ति - भगवान की भक्ति
- देवता - देवता
- ऋषि - संत
- पाप - बुरा कर्म
- मोक्ष - मुक्ति
- गुरु - शिक्षक
- दर्शन - दर्शन
- ब्रह्मांड - संसार
- सुख - आनंद
- मार्गदर्शक - नेता
अगस्त्यप्रोक्तं पापशमनं नाम हरिशङ्करस्तोत्रम् Agastyaproktan paapashamanan naam harishkarastotram
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