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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम एक धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की आराधना के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र दो श्लोकों का है, इसलिए इसे श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम कहा जाता है। इस स्तोत्र की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम का पाठ करने से भगवान हनुमान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  • रोग और पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
  • बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम का पाठ करने के लिए किसी विशेष समय या स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष अवसरों पर, जैसे कि हनुमान जयंती, मंगलवार और शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम का पाठ करने से पहले, भक्तों को भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने बैठना चाहिए और उन्हें फूल, धूप, दीप और फल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद, भक्तों को शांत मन से और श्रद्धापूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम के कुछ अन्य लाभों में शामिल हैं:

  • यह भक्तों को साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
  • यह भक्तों को बुरी आत्माओं और दुष्ट शक्तियों से बचाता है।
  • यह भक्तों को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करता है।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम का पाठ निम्नलिखित है:

श्लोक 1:

अष्टसिद्धि नव निधि के दाता,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
राम दूत अतुलित बलधामा,
छत्र निकेतन रघुकुल त्राता।

भावार्थ:

हे अंजनी पुत्र हनुमान! आप अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता हैं। आप अंजनी के पुत्र और पवनपुत्र हैं। आप श्री राम के दूत हैं और आपके पास अतुलनीय बल है। आप रघुकुल के त्राता हैं।

श्लोक 2:

कंचन थार कुंडल शोभित,
कानन कुण्डल मकरध्वज धारी।
श्रीमुख चंद्रमा सोहत है,
ताहि सों मुख चंद्र छवि धारी।

भावार्थ:

आपके कानों में स्वर्ण की थार और कुंडल शोभायमान हैं। आपके मस्तक पर मकराकृति मुकुट है। आपके श्रीमुख पर चंद्रमा की छवि शोभायमान है।

श्रीहनुमद्‌द्वन्दव स्तोत्रम नियमित रूप से करने से भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है और वे सभी प्रकार के लाभों को प्राप्त करते हैं।


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