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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

श्रीसुदर्शनकवचम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की रक्षा प्रदान करता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की महिमा का वर्णन करता है।

श्रीसुदर्शनकवचम् में 20 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक भगवान विष्णु से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करता है। भगवान विष्णु उनकी प्रार्थना सुनते हैं और उन्हें अपनी रक्षा प्रदान करते हैं। स्तोत्र में, भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की महिमा का वर्णन है।

श्रीसुदर्शनकवचम् का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी बुराईयों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।

श्रीसुदर्शनकवचम् का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
  2. फिर, एक दीपक जलाएं और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  3. अब, श्रीसुदर्शनकवचम् का पाठ करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करते समय, भगवान विष्णु पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. स्तोत्र का पाठ करने के बाद, भगवान विष्णु से आशीर्वाद मांगें।

श्रीसुदर्शनकवचम् का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।

श्रीसुदर्शनकवचम् के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी बुराईयों से सुरक्षा
  • आध्यात्मिक सिद्धि
  • लंबी और सुखी जीवन
  • धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
  • ऋणों से मुक्ति
  • भय से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

श्रीसुदर्शनकवचम् का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है।

श्रीसुदर्शनकवचम् के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:

॥ श्रीसुदर्शनकवचम् ॥

अथ श्रीसुदर्शनकवचम्।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

ॐ सुदर्शनाय नमः।

ॐ चक्राय नमः।

ॐ त्रिशूलधारकाय नमः।

ॐ गदाधारकाय नमः।

ॐ शंखधारकाय नमः।

ॐ पद्मधारकाय नमः।

ॐ हृदये नमः।

ॐ शिरसे स्वाहा।

ॐ शिखायै वषट्।

ॐ कवचाय हुम्।

ॐ नेत्रत्रयाय वौषट्।

ॐ अस्त्राय फट्।

भूर्भुवः स्वरोमिति दिग्बन्धः।

इस स्तोत्र का अर्थ है:

"मैं भगवान विष्णु को प्रणाम करता हूं।

मैं सुदर्शन चक्र को प्रणाम करता हूं।

मैं चक्र को प्रणाम करता हूं।

मैं त्रिशूलधारी भगवान को प्रणाम करता हूं।

मैं गदाधारी भगवान को प्रणाम करता हूं।

मैं शंखधारी भगवान को प्रणाम करता हूं।

मैं पद्मधारी भगवान को प्रणाम करता हूं।

मेरे हृदय में आप निवास करते हैं।

मेरे सिर पर आपका निवास है।

मेरे शिखा पर आपका निवास है।

मेरी कवच में आपका निवास है।

मेरी तीन आंखों में आपका निवास है।

मेरे अस्त्र में आपका निवास है।

मैं चारों दिशाओं में आपकी रक्षा करता हूं।"

श्रीसुदर्शनकवचम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को भगवान विष्णु की रक्षा प्रदान करता है।


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