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- Create Date October 11, 2023
- Last Updated October 11, 2023
श्री सरस्वती अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी सरस्वती की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक श्रीजयदेव ने लिखा था।
श्री सरस्वती अष्टकम् की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
1. श्वेतांबरधरा देवी श्वेतांशु प्रभामयी । सर्वविद्याप्रदा देवी नमस्ते सरस्वती ॥
अर्थ: हे देवी सरस्वती, आप सफेद वस्त्र पहनती हैं और आपकी श्वेत किरणें चमक रही हैं। आप सभी विद्याओं की दाता हैं, आपको नमस्कार है।
2. विद्यादात्री चतुर्भुजा पद्महस्ते सदा । हंसवाहना शुभ्रवर्णा नमस्ते सरस्वती ॥
अर्थ: हे देवी सरस्वती, आप चार भुजाओं वाली हैं और आपके हाथों में कमल है। आप हंस पर सवार हैं और आपका रंग सफेद है, आपको नमस्कार है।
3. ज्ञानप्रदा भवानी देवी नमस्ते सरस्वती । सर्वकलामयी देवी नमस्ते सरस्वती ॥
अर्थ: हे देवी सरस्वती, आप ज्ञान की दाता हैं, आपको नमस्कार है। आप सभी कलाओं की देवी हैं, आपको नमस्कार है।
श्री सरस्वती अष्टकम् का महत्व
श्री सरस्वती अष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन करती है। यह स्तोत्र भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, रचनात्मकता और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।
श्री सरस्वती अष्टकम् का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- रचनात्मकता बढ़ती है।
- सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- विद्या, कला और संगीत में प्रवीणता प्राप्त होती है।
- वाणी में मधुरता आती है।
- मन और तन शुद्ध होता है।
- जीवन में शांति और सुख आता है।
श्री सरस्वती अष्टकम् का पाठ कैसे करें
श्री सरस्वती अष्टकम् का पाठ करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- एक स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं।
- अपने हाथों को जोड़कर देवी सरस्वती को प्रणाम करें।
- स्तोत्र को ध्यान से पढ़ें या सुनें।
- स्तोत्र को कम से कम तीन बार पढ़ें या सुनें।
- अंत में, देवी सरस्वती से अपनी इच्छाओं को पूरा करने की प्रार्थना करें।
श्री सरस्वती अष्टकम् का पाठ नियमित रूप से करने से ज्ञान, बुद्धि, रचनात्मकता और सफलता की शक्ति प्राप्त होती है।
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