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- Create Date October 16, 2023
- Last Updated October 16, 2023
श्रीषड्वर्णमन्त्राष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के एक रूप, षड्भुज महाशैव के गुणों की स्तुति करता है। इस स्तोत्र की रचना 16वीं शताब्दी में संत तुलसीदास ने की थी।
श्रीषड्वर्णमन्त्राष्टकम् में भगवान शिव के रूप, षड्भुज महाशैव को एक अत्यंत शक्तिशाली और दयालु देवता के रूप में दर्शाया गया है। भगवान षड्भुज महाशैव को सभी भक्तों के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है।
श्रीषड्वर्णमन्त्राष्टकम् में भगवान षड्भुज महाशैव की स्तुति निम्नलिखित प्रकार से की गई है:
श्लोक 1:
जय षड्भुज महाशैव, जय षड्भुज महाशैव, जय षड्भुज महाशैव।
हे भगवान षड्भुज महाशैव, तुम हो सबके स्वामी।
श्लोक 2:
तुम हो सृष्टि के सृजनकर्ता,
तुम हो सृष्टि के संहारकर्ता,
तुम हो सभी जीवों के स्वामी।
श्लोक 3:
तुम हो ज्ञान के भंडार,
तुम हो शक्ति के भंडार,
तुम हो भक्तों के मार्गदर्शक।
श्लोक 4:
तुम हो प्रेम के सागर,
तुम हो भक्ति के सागर,
तुम हो भक्तों के जीवन को सुखी बनाने वाले।
श्लोक 5:
तुम हो सभी कष्टों को दूर करने वाले,
तुम हो सभी दुखों को दूर करने वाले,
तुम हो भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले।
श्लोक 6:
हे भगवान षड्भुज महाशैव, मैं तुम्हारी शरण में आता हूं।
कृपा करके मेरे सभी कष्टों को दूर करो, और मुझे मोक्ष प्रदान करो।
श्रीषड्वर्णमन्त्राष्टकम् एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान षड्भुज महाशैव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
यहां श्रीषड्वर्णमन्त्राष्टकम् का हिंदी अनुवाद दिया गया है:
श्लोक 1:
जय हो षड्भुज महाशैव,
तुम हो सबके स्वामी।
श्लोक 2:
तुम हो सृष्टि के सृजनकर्ता,
तुम हो सृष्टि के संहारकर्ता,
तुम हो सभी जीवों के स्वामी।
श्लोक 3:
तुम हो ज्ञान के भंडार,
तुम हो शक्ति के भंडार,
तुम हो भक्तों के मार्गदर्शक।
श्लोक 4:
तुम हो प्रेम के सागर,
तुम हो भक्ति के सागर,
तुम हो भक्तों के जीवन को सुखी बनाने वाले।
श्लोक 5:
तुम हो सभी कष्टों को दूर करने वाले,
तुम हो सभी दुखों को दूर करने वाले,
तुम हो भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले।
श्लोक 6:
हे भगवान षड्भुज महाशैव, मैं तुम्हारी शरण में आता हूं।
कृपा करके मेरे सभी कष्टों को दूर करो, और मुझे मोक्ष प्रदान करो।
श्रीषड्वर्णमन्त्राष्टकम् एक अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र है और इसे अक्सर शिव मंदिरों में पाठ किया जाता है।
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