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- Create Date October 11, 2023
- Last Updated October 11, 2023
श्रीश्रीभाषाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव को भाषा की शक्ति के रूप में स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक श्रीजयदेव ने लिखा था।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
हे भगवान शिव, आप भाषा की शक्ति हैं। आपके द्वारा ही सभी भाषाएँ उत्पन्न होती हैं। आपके द्वारा ही सभी शब्दों का अर्थ होता है। आपके द्वारा ही सभी वाक्यों का निर्माण होता है।
आप सभी प्राणियों को भाषा प्रदान करते हैं। आप सभी प्राणियों को संवाद करने की शक्ति प्रदान करते हैं। आप सभी प्राणियों को ज्ञान और समझ प्रदान करते हैं।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् का पाठ करने से भाषा की शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है। यह स्तोत्र सभी के लिए लाभकारी है, चाहे उनकी कोई भी जाति, धर्म या विश्वास हो।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् का पाठ करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- एक स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं।
- अपने हाथों को जोड़कर भगवान शिव को प्रणाम करें।
- स्तोत्र को ध्यान से पढ़ें या सुनें।
- स्तोत्र को कम से कम तीन बार पढ़ें।
- अंत में, भगवान शिव से अपनी इच्छाओं को पूरा करने की प्रार्थना करें।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् का पाठ नियमित रूप से करने से भाषा की शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है।
यहाँ श्रीश्रीभाषाष्टकम् का एक उदाहरण है:
हे भगवान शिव, आप भाषा की शक्ति हैं। आपके द्वारा ही सभी भाषाएँ उत्पन्न होती हैं। आपके द्वारा ही सभी शब्दों का अर्थ होता है। आपके द्वारा ही सभी वाक्यों का निर्माण होता है।
आप सभी प्राणियों को भाषा प्रदान करते हैं। आप सभी प्राणियों को संवाद करने की शक्ति प्रदान करते हैं। आप सभी प्राणियों को ज्ञान और समझ प्रदान करते हैं।
आप अपनी भाषा और शब्दों का उपयोग करके श्रीश्रीभाषाष्टकम् कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप भगवान शिव की स्तुति करें और उनसे भाषा की शक्ति और ज्ञान प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् का अर्थ
- पहला छंद
हे भगवान शिव, आप भाषा की शक्ति हैं। आपके द्वारा ही सभी भाषाएँ उत्पन्न होती हैं। आपके द्वारा ही सभी शब्दों का अर्थ होता है। आपके द्वारा ही सभी वाक्यों का निर्माण होता है।
इस छंद में, भक्त भगवान शिव को भाषा की शक्ति के रूप में स्तुति करते हैं। वे मानते हैं कि सभी भाषाएँ भगवान शिव से उत्पन्न होती हैं। भगवान शिव ही सभी शब्दों और वाक्यों का अर्थ देते हैं।
- दूसरा छंद
आप सभी प्राणियों को भाषा प्रदान करते हैं। आप सभी प्राणियों को संवाद करने की शक्ति प्रदान करते हैं। आप सभी प्राणियों को ज्ञान और समझ प्रदान करते हैं।
इस छंद में, भक्त भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि वे सभी प्राणियों को भाषा प्रदान करें। वे चाहते हैं कि सभी प्राणी एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकें और ज्ञान और समझ प्राप्त कर सकें।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् की रचना 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक श्रीजयदेव ने की थी। यह स्तोत्र भगवान शिव की सबसे लोकप्रिय स्तुतियों में से एक है।
श्रीश्रीभाषाष्टकम् का महत्व
श्रीश्रीभाषाष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भाषा की शक्ति और ज्ञान की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भाषा की शक्ति और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
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