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  • Create Date October 24, 2023
  • Last Updated October 24, 2023

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र "ॐ नमः शिवाय" की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली का एक विस्तारित संस्करण है, जिसमें 108 श्लोकों के बजाय 216 श्लोक हैं।

स्तोत्र की रचना 14वीं शताब्दी के हिंदू संत और कवि विद्यापति द्वारा की गई थी। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है और अक्सर पूजा और अनुष्ठानों में पढ़ा जाता है।

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 का पाठ

श्लोक 1:

ॐ नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय । नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय ॥

अर्थ:

मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूं, मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूं, मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूं। मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूं, मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूं, मैं भगवान शिव को नमस्कार करता हूं।

श्लोक 2:

नमस्ते रुद्राय नमस्ते शंभवे नमस्ते महेश्वराय । नमस्ते त्र्यम्बकाय नमस्ते पिनाकधराय नमस्ते महेश्वराय ॥

अर्थ:

मैं आपको रुद्र, शंभु, महेश्वर, त्र्यंबक, और पिनाकधरा को नमस्कार करता हूं।

श्लोक 3:

नमस्ते सदाशिवाय नमस्ते ईशानाय नमस्ते भवाय । नमस्ते शर्वाय नमस्ते अघोराय नमस्ते महादेवाय ॥

अर्थ:

मैं आपको सदाशिव, ईशान, भव, शर्व, अघोर, और महादेव को नमस्कार करता हूं।

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 का नियमित पाठ करने से भक्तों में भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति जागृत हो सकती है। यह स्तोत्र भक्तों को शांति, समृद्धि, और सफलता प्रदान कर सकता है।

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र के 216 अर्थों या गुणों की व्याख्या करता है।
  • यह स्तोत्र भगवान शिव को सर्वोच्च देवता के रूप में दर्शाता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों में भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति जागृत करने में मदद कर सकता है।

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 का पाठ करने के लाभ:

  • यह भक्तों में भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति जागृत कर सकता है।
  • यह भक्तों को शांति, समृद्धि, और सफलता प्रदान कर सकता है।
  • यह भक्तों को जीवन के कठिन समय में मार्गदर्शन और शक्ति प्रदान कर सकता है।

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 का महत्व:

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों के बारे में जानने में भी मदद करता है।

श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 और श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली के बीच मुख्य अंतर यह है कि श्रीशिवपंचक्षरशतश्रतानवली 2 में 108 श्लोकों के बजाय 216 श्लोक हैं। यह अतिरिक्त श्लोक भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र के 108 अतिरिक्त अर्थों या गुणों की व्याख्या करते हैं।


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