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- Create Date October 24, 2023
- Last Updated October 24, 2023
श्री शिवजटाजूटस्तुति एक स्तोत्र है जो भगवान शिव की जटाओं की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव को जटाजूटधारी के रूप में दर्शाता है, जो ज्ञान, शक्ति और ब्रह्मांड के रहस्यों का भंडार है।
स्तोत्र का प्रारंभ भगवान शिव के जटाओं के रूप का वर्णन से होता है। भगवान शिव की जटाएँ अत्यंत लंबी और घनी हैं, और वे उनके सिर के ऊपर एक मुकुट की तरह फैली हुई हैं। जटाओं में गंगा नदी बहती है, जो पवित्रता और जीवन का प्रतीक है।
दूसरा श्लोक भगवान शिव की जटाओं में स्थित रहस्यों का वर्णन करता है। जटाओं में ब्रह्मांड की सभी ज्ञान और शक्तियां समाहित हैं। जटाओं में ही भगवान शिव ने सृष्टि रचना की, और यहीं पर वे संहार भी करेंगे।
अंतिम श्लोक भक्तों को भगवान शिव की जटाओं में शरण लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। जटाओं में भक्तों के लिए शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है।
श्री शिवजटाजूटस्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र शांति, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है।
स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है:
जटाजूटधारी शंभो, त्रिशूलधारी महादेव जटाजूट में गंगा बहती, ब्रह्मांड के रहस्यों का भंडार
जटाजूट में सृष्टि रची, जटाजूट में संहार होगा जटाजूट में शरण ले, शांति, समृद्धि और मोक्ष मिलेगा
अर्थ:
हे जटाजूटधारी शिव, हे त्रिशूलधारी महादेव, आपकी जटाओं में गंगा बहती है, जो ब्रह्मांड के रहस्यों का भंडार है।
आपने जटाओं में ही सृष्टि रची, और इसी जटाओं में संहार होगा। आपकी जटाओं में शरण लें, तो शांति, समृद्धि और मोक्ष मिलेगा।
स्तोत्र का विश्लेषण:
स्तोत्र का प्रारंभ भगवान शिव के जटाजूट के रूप का वर्णन से होता है। जटाजूट भगवान शिव का एक प्रमुख प्रतीक है। यह ज्ञान, शक्ति और ब्रह्मांड के रहस्यों का प्रतीक है।
दूसरा श्लोक भगवान शिव की जटाओं में स्थित रहस्यों का वर्णन करता है। जटाओं में ब्रह्मांड की सभी ज्ञान और शक्तियां समाहित हैं। जटाओं में ही भगवान शिव ने सृष्टि रचना की, और यहीं पर वे संहार भी करेंगे।
अंतिम श्लोक भक्तों को भगवान शिव की जटाओं में शरण लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। जटाओं में भक्तों के लिए शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है।
स्तोत्र का महत्व:
श्री शिवजटाजूटस्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र शांति, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है।
स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्तों में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
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