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  • Create Date November 17, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

 Sri Shankaraparadhakshamapanastotram

श्रीशङ्करापराधक्षमापनस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो आदि गुरु शंकराचार्य से क्षमा मांगता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्होंने शंकराचार्य के सिद्धांतों और शिक्षाओं का उल्लंघन किया है।

श्री शंकराचार्य अपराधक्षमापन स्तोत्रम् की रचना का श्रेय आमतौर पर स्वामी विवेकानंद को दिया जाता है। विवेकानंद एक महान दार्शनिक और धर्मगुरु थे। उन्होंने हिंदू धर्म के दर्शन और सिद्धांतों को दुनिया भर में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

श्री शंकराचार्य अपराधक्षमापन स्तोत्रम् को हिंदू धर्म में एक पवित्र स्तोत्र माना जाता है। इसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों में पढ़ा जाता है।

श्री श्रीशङ्करापराधक्षमापनस्तोत्रम् के कुछ प्रसिद्ध श्लोक:

  • अर्थ: हे शंकराचार्य, आप ब्रह्मांड के निर्माता, संहारक और पालनहार हैं। आप सभी देवताओं के देवता हैं। आप सभी प्राणियों के रक्षक हैं।

  • अर्थ: मैं आपके अनंत ज्ञान और दया का स्मरण करता हूं। मैं आपके सामने अपने अपराधों की क्षमा मांगता हूं।

  • अर्थ: मैं आपकी शिक्षाओं और सिद्धांतों का उल्लंघन करता हूं। मैं आपके प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को कम करता हूं।

  • अर्थ: मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मेरे अपराधों को क्षमा करें। मुझे ज्ञान, आनंद और मोक्ष प्रदान करें।

श्री शंकराचार्य अपराधक्षमापन स्तोत्रम् एक शक्तिशाली और अर्थपूर्ण स्तोत्र है जो आदि गुरु शंकराचार्य की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शक है जो शंकराचार्य के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपनाना चाहते हैं।

Sri Shankaraparadhakshamapanastotram

श्रीश्रीशङ्करापराधक्षमापनस्तोत्रम् का पाठ:

नमस्ते शंकराचार्य! ब्रह्माण्डनायक! देवानाम देव! प्राणिनां रक्षक!

अनन्तज्ञान! अनन्तकृपा!

अहं त्वां शरणं गच्छामि। त्वद्भक्तानां मध्ये मम स्थानं देहि।

त्वदज्ञानेन मयाकृता अपराधाः सर्वाः क्षमा कुरु भगवन्।

त्वदज्ञानेन मयाकृता पापानि सर्वाः क्षमा कुरु भगवन्।

त्वदज्ञानेन मयाकृता कर्मपापानि सर्वाः क्षमा कुरु भगवन्।

ज्ञानं देहि भगवन्। आनन्दं देहि भगवन्। मोक्षं देहि भगवन्।

अनुवाद:

हे शंकराचार्य, आपको मेरा प्रणाम। आप ब्रह्मांड के निर्माता, संहारक और पालनहार हैं। आप सभी देवताओं के देवता हैं। आप सभी प्राणियों के रक्षक हैं।

आपके अनंत ज्ञान और दया का मैं स्मरण करता हूं। मैं आपके सामने अपने अपराधों की क्षमा मांगता हूं।

मैं आपकी शिक्षाओं और सिद्धांतों का उल्लंघन करता हूं। मैं आपके प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को कम करता हूं।

मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मेरे अपराधों को क्षमा करें। मुझे ज्ञान, आनंद और मोक्ष प्रदान करें।

श्रीशिवपञ्चचामरस्तोत्रम् Shreeshivpanchamarstotram


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