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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated November 10, 2023

श्रीवृन्दावनाष्टकम् एक संस्कृत भक्तिगीत है जो भगवान कृष्ण के वृन्दावन निवास की महिमा का वर्णन करता है। यह भक्तिगीत 16वीं शताब्दी के कवि श्रीरुप गोस्वामी द्वारा लिखा गया था।

श्रीवृन्दावनाष्टकम् के आठ श्लोक हैं, जो प्रत्येक वृन्दावन के एक विशेष गुण का वर्णन करते हैं। इन श्लोकों में वृन्दावन की सुंदरता, उसकी पवित्रता, उसकी शांति, उसकी आनंद, उसकी लीलाओं, और उसकी भक्ति का वर्णन किया गया है।

श्रीवृन्दावनाष्टकम् का पहला श्लोक इस प्रकार है:

shreevrndaavanaashtakam

वृन्दावनं वृन्दावनं पवित्रं पुण्यं रम्यं वृन्दावनं वृन्दावनं कृष्णस्य लीलानिवासं

इस श्लोक का अर्थ है:

वृन्दावन वृन्दावन, पवित्र, पुण्य, और रमणीय है। वृन्दावन वृन्दावन, कृष्ण की लीलाओं का निवास है।

श्रीवृन्दावनाष्टकम् एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण भक्तिगीत है। यह भक्तिगीत भक्तों को भगवान कृष्ण के वृन्दावन निवास के प्रेम में लीन होने में मदद करता है।

श्रीवृन्दावनाष्टकम् के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह भक्तों को भगवान कृष्ण के वृन्दावन निवास के प्रेम में लीन होने में मदद करता है।
  • यह भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति विकसित करने में मदद करता है।
  • यह भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।

श्रीवृन्दावनाष्टकम् का गायन करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  • एकांत स्थान में बैठें।
  • अपने सामने भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • मन में भगवान कृष्ण का ध्यान करें।
  • श्लोकों को गायन करें।

आप श्रीवृन्दावनाष्टकम् का गायन सुबह, शाम या किसी भी समय कर सकते हैं।

श्रीवृन्दावनाष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  • प्रथम श्लोक: वृन्दावन की पवित्रता की स्तुति
  • द्वितीय श्लोक: वृन्दावन की सुंदरता की स्तुति
  • तृतीय श्लोक: वृन्दावन की शांति की स्तुति
  • चतुर्थ श्लोक: वृन्दावन के आनंद की स्तुति
  • पंचम श्लोक: वृन्दावन की लीलाओं की स्तुति
  • षष्ठ श्लोक: वृन्दावन की भक्ति की स्तुति

श्रीवृन्दावनाष्टकम् एक बहुत ही महत्वपूर्ण भक्तिगीत है। यह भक्तिगीत भक्तों को भगवान कृष्ण के वृन्दावन निवास के बारे में जानने और उनका अनुभव करने में मदद करता है।


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