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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated July 2, 2024

Srivishnuproktam tridevanamekatvapratipadanam

श्रीविष्णुप्रोक्तं त्रिदेवनामेकत्वप्रतिपादनं एक संस्कृत श्लोक है जो तीन देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु और शिव की एकता का वर्णन करता है। यह श्लोक श्रीमद्भागवत में पाया जाता है।

श्रीविष्णुप्रोक्तं त्रिदेवनामेकत्वप्रतिपादनं का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है:

"ब्रह्मा, विष्णु और शिव एक ही हैं। वे तीन रूपों में एक ही परमात्मा के प्रतीक हैं। ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, विष्णु पालनकर्ता हैं और शिव संहारकर्ता हैं। लेकिन, वास्तव में, वे तीनों एक ही हैं।"

श्लोक का अर्थ

  • ब्रह्मा - सृष्टि के रचयिता, जो चार मुखों और चार भुजाओं वाले हैं।
  • विष्णु - पालनकर्ता, जो चार भुजाओं वाले हैं और जिनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म हैं।
  • शिव - संहारकर्ता, जो तीन नेत्रों वाले हैं और जिनके हाथों में त्रिशूल, डमरू और नंदी हैं।

श्लोक का महत्व

  • यह श्लोक हिंदू धर्म में त्रिदेव की एकता का वर्णन करता है।
  • यह श्लोक बताता है कि तीनों देवता एक ही परमात्मा के प्रतीक हैं।
  • यह श्लोक भक्तों को एकता और प्रेम का संदेश देता है।

श्लोक का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भक्तों को एकता और प्रेम का संदेश मिलता है।
  • भक्तों को यह समझने में मदद मिलती है कि तीनों देवता एक ही हैं।
  • भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

श्रीशिवषडक्षरस्तोत्रम् २ Sri Shivashadaksharastotram 2


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