• Version
  • Download 133
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

श्री विश्वमंगल एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "सभी प्रकार की मंगलता"। यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सभी प्रकार की बुराईयों से रक्षा प्रदान करता है और साधक को आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है।

श्री विश्वमंगल स्तोत्र में 108 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक भगवान शिव से श्री विश्वमंगल की कृपा मांगता है। भगवान शिव उनकी प्रार्थना सुनते हैं और उन्हें श्री विश्वमंगल की कृपा प्रदान करते हैं। स्तोत्र में, श्री विश्वमंगल के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक की रक्षा करते हैं।

श्री विश्वमंगल स्तोत्र का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी बुराईयों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।

श्री विश्वमंगल स्तोत्र का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
  2. फिर, एक दीपक जलाएं और भगवान शिव की पूजा करें।
  3. अब, श्री विश्वमंगल स्तोत्र का पाठ करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करते समय, भगवान शिव और श्री विश्वमंगल पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. स्तोत्र का पाठ करने के बाद, भगवान शिव और श्री विश्वमंगल से आशीर्वाद मांगें।

श्री विश्वमंगल स्तोत्र का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।

श्री विश्वमंगल स्तोत्र के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी बुराईयों से सुरक्षा
  • आध्यात्मिक सिद्धि
  • लंबी और सुखी जीवन
  • धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
  • ऋणों से मुक्ति
  • भय से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

श्री विश्वमंगल स्तोत्र का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह भगवान शिव और श्री विश्वमंगल की कृपा प्राप्त करता है।

श्री विश्वमंगल स्तोत्र के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:

॥ श्री विश्वमंगल स्तोत्रम् ॥

अथ श्री विश्वमंगल स्तोत्रम्।

ॐ नमः शिवाय।

श्री विश्वमंगलनाथाय नमो नमः।

सर्व मंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमो नमः॥

महादेव शम्भो शुभकर्ता मृडुदंष्ट्र।

मम सर्वं मंगलं कुरु विश्वमंगलनाथ॥

श्री विश्वमंगल नाथाय नमो नमः।

सर्व मंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमो नमः॥

॥ इति श्री विश्वमंगल स्तोत्रम् पूर्णम् ॥

इस स्तोत्र का अर्थ है:

"हे श्री विश्वमंगलनाथ, मैं आपको प्रणाम करता हूं। आप सभी मंगलों के दाता हैं, आप सभी कार्यों को सिद्ध करने वाले हैं। आप मेरी शरण हैं, आप तीन नेत्रों वाले हैं, आप गौरी और नारायण के रूप हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूं।

हे महादेव शंभो, आप मंगल करने वाले हैं, आपके दांत कोमल हैं। मेरी सभी मंगलों को पूरा करें, हे विश्वमंगलनाथ।"

श्री विश्वमंगल स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सभी प्रकार की बुराईयों से रक्षा प्रदान करता है और साधक को आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *