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- Create Date November 8, 2023
- Last Updated November 8, 2023
Srivalishailadhinathatrayam
श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् भगवान शिव के तीन रूपों को संदर्भित करता है जो श्रीवल्लिसैला मंदिर में स्थित हैं। इन तीन रूपों का नाम मल्लिकार्जुन, मल्लिकार्जुन स्वामी और मल्लिकार्जुन स्वामी है।
- मल्लिकार्जुन भगवान शिव के एक रूप हैं जो एक विशाल चट्टान के रूप में प्रकट होते हैं। यह चट्टान श्रीवल्लिसैला मंदिर के गर्भगृह में स्थित है।
- मल्लिकार्जुन स्वामी भगवान शिव के एक रूप हैं जो एक मानवीय रूप में प्रकट होते हैं। यह रूप श्रीवल्लिसैला मंदिर के गर्भगृह में मल्लिकार्जुन चट्टान के सामने स्थित है।
- मल्लिकार्जुन स्वामी भगवान शिव के एक रूप हैं जो एक बाल रूप में प्रकट होते हैं। यह रूप श्रीवल्लिसैला मंदिर के गर्भगृह के बाहर स्थित है।
Srivalishailadhinathatrayam
इन तीन रूपों की पूजा श्रीवल्लिसैला मंदिर में की जाती है। यह मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य के बेलगावी जिले में स्थित है।
श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् के महत्व:
- श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् भगवान शिव की महिमा का प्रतीक है।
- यह त्रिमूर्ति प्रेम, करुणा और शक्ति का प्रतीक है।
- श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् की पूजा भक्तों को आशीर्वाद और शांति प्रदान करती है।
श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् की पूजा विधि:
- श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् की पूजा सुबह और शाम को की जा सकती है।
- पूजा के लिए सबसे पहले भगवान शिव को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है।
- फिर भगवान को फूल, फल और मिठाई अर्पित की जाती है।
- अंत में, भगवान शिव की आरती की जाती है।
श्रीवल्लिसैलाधिनैत्रयम् की पूजा करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा भक्तों को आशीर्वाद और शांति प्रदान करती है।
श्रीविश्वनाथस्तोत्रम् Sri Vishwanath Stotram
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