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  • Create Date November 8, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

Srilokanayakipaapvinasheshwarastotram

श्रीलोकनायकिपापविनाशेशस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव को लोकनायक और पापविनाशेश के रूप में प्रशंसा करता है।

स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है:

नमस्ते लोकनायक पापविनाशेश । त्रिशूलधारि सर्वभूतनाथ ॥ १ ॥

अर्थ:

हे लोकनायक, पापविनाशेश, त्रिशूलधारी, सर्वभूतनाथ, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

अगले श्लोकों में, स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा करता है। उदाहरण के लिए, एक श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को सृष्टिकर्ता के रूप में प्रशंसा करता है:

सृष्टिकर्ता पालककर्ता संहारकर्ता च । लोकनायक पापविनाशेश ॥ २ ॥

अर्थ:

सृष्टिकर्ता, पालककर्ता, और संहारकर्ता, लोकनायक पापविनाशेश।

एक अन्य श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को भक्तों के रक्षक के रूप में प्रशंसा करता है:

दुष्टानां भयं हर्ता भक्तानां रक्षकः । लोकनायक पापविनाशेश ॥ ३ ॥

अर्थ:

दुष्टों का भय दूर करने वाले, भक्तों के रक्षक, लोकनायक पापविनाशेश।

स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है:

यः पठेत् लोकनायकपापविनाशेशस्तोत्रम् । तस्य सर्वपाप नाशं कुर्यात शिवः ॥ १० ॥

Srilokanayakipaapvinasheshwarastotram

अर्थ:

जो लोकनायकपापविनाशेशस्तोत्र का पाठ करता है, उसके सभी पापों का नाश शिव करते हैं।

श्रीलोकनायकिपापविनाशेशस्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना और ध्यान में किया जाता है।

श्रीलोकनायकिपापविनाशेशस्तोत्र के प्रमुख प्रसंग:

  • स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है।
  • स्तोत्र के अगले श्लोक भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा करते हैं।
  • स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है।

श्रीलोकनायकिपापविनाशेशस्तोत्र के लाभ:

  • इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  • यह स्तोत्र सभी पापों के नाश के लिए सहायक है।
  • यह स्तोत्र मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

श्रीलोकनायकिपापविनाशेशस्तोत्र के लेखक अज्ञात हैं। यह स्तोत्र प्राचीन काल से प्रचलित है।

श्रीवालिशैलाधिनाथत्रयम् Srivalishailadhinathatrayam


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