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  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated October 9, 2023

श्रीलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली एक संस्कृत स्तोत्र है जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी, श्रीमती लक्ष्मी की स्तुति करती है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा है।

स्तोत्र में, श्रीमती लक्ष्मी को 108 नामों से संबोधित किया जाता है, जो उनकी विभिन्न शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें "धनलक्ष्मी" कहा जाता है, जो धन की देवी हैं। उन्हें "पुत्रलक्ष्मी" कहा जाता है, जो पुत्रों की देवी हैं। और उन्हें "ज्ञानलक्ष्मी" कहा जाता है, जो ज्ञान की देवी हैं।

श्रीलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो श्रीमती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जा सकती है। यह स्तोत्र धन, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए फायदेमंद है।

स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

श्रीलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली

अथ श्रीलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली

श्रीकृष्ण उवाच

ॐ नमस्तेऽस्तु देवी महालक्ष्म्यै च।

अर्थ:

हे देवी महालक्ष्मी, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु भगवती सर्वशक्तिरूपिण्यै।

अर्थ:

हे देवी सर्वशक्तिरूपिणी, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु पद्मोद्भवायै च।

अर्थ:

हे कमल से उत्पन्न हुई देवी, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु विष्णुपत्न्यै च।

अर्थ:

हे विष्णु की पत्नी, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु लक्ष्मीरूपिण्यै च।

अर्थ:

हे लक्ष्मी रूपिणी, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु धनधान्यसम्पन्नायै।

अर्थ:

हे धन और धान्य से सम्पन्न, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु सर्वलोकवन्द्यायै।

अर्थ:

हे सभी लोकों द्वारा वंदनीय, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु सर्वसौभाग्यदायिन्यै।

अर्थ:

हे सभी सौभाग्य को देने वाली, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु सर्वपापहरायै।

अर्थ:

हे सभी पापों को हरने वाली, आपको मेरा प्रणाम है।

ॐ नमस्तेऽस्तु सर्वकामप्रदायिन्यै।

अर्थ:

हे सभी कामनाओं को देने वाली, आपको मेरा प्रणाम है।

इति श्रीलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामावली समाप्तम्।

स्तोत्र का पाठ करने की विधि:

इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए, सबसे पहले एक साफ और शांत स्थान चुनें। फिर, एक आसन पर बैठें और अपने सामने एक श्रीमती लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र रखें। अब, हाथ में एक माला लें और स्तोत्र का पाठ शुरू करें। स्तोत्र का पाठ करते समय, श्रीमती लक्ष्मी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।

स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अच्छा समय शुक्रवार है। आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सुबह जल्दी या शाम को सूर्यास्त के समय करना सबसे अच्छा माना जाता है।

स्तोत्र का पाठ करने से पहले, स्नान करके स्वच्छ हो जाएं। फिर, साफ कपड़े पहनें और एक पवित्र स्थान पर जाएं। वहां, एक आसन पर बैठें और अपने सामने एक श्रीमती लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र रखें। अब, अपने हाथों में एक माला लें और स्तोत्र का पाठ शुरू करें। स्तोत्र का पाठ करते समय, श्रीमती लक्ष्मी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।

स्तोत्र का पाठ करने के बाद, श्रीमती लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को प्रसाद


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