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- Create Date November 6, 2023
- Last Updated November 6, 2023
Shrirudrashtakam tulsidaskritam
हाँ, श्रीरुद्राष्टकम तुलसीदास कृत है। यह एक संस्कृत श्लोक है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह श्लोक तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में पाया जाता है।
श्लोक इस प्रकार है:
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
अर्थ:
Shrirudrashtakam tulsidaskritam
मैं शिव को प्रणाम करता हूं, जो निर्वाण के रूप में हैं, जो सर्वव्यापी हैं, जो ब्रह्म और वेद के स्वरूप हैं। मैं उनको अपने, निर्गुण, निर्विकल्प और निरीह स्वरूप में भजता हूं, जो आकाश में स्थित हैं।
श्लोक के शेष छंद भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन करते हैं। श्लोक के अंत में, भक्त भगवान शिव से अपनी कृपा और आशीर्वाद मांगते हैं।
श्रीरुद्राष्टकम एक बहुत ही लोकप्रिय शिव स्तुति है। यह श्लोक अक्सर शिव पूजा और आराधना में पढ़ा जाता है।
श्रीशिव नीरांजनम् Sri Shiva Neeranjanam
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