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  • Create Date October 14, 2023
  • Last Updated October 14, 2023

श्रीरामष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान राम की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के कवि, श्रीधर स्वामी द्वारा रचित है।

श्रीरामष्टकम् में, श्रीधर स्वामी भगवान राम के कई दिव्य गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान राम सर्वव्यापी हैं, सभी गुणों से संपन्न हैं, और सभी का कल्याण करते हैं।

श्रीरामष्टकम् की कुछ पंक्तियों का अनुवाद इस प्रकार है:

प्रथम श्लोक:

हे राम, आप सर्वव्यापी हैं, और आप सभी में हैं। आप सभी गुणों से संपन्न हैं, और आप सभी का कल्याण करते हैं।

दूसरा श्लोक:

हे राम, आप दयालु हैं, और आप करुणामय हैं। आप न्यायप्रिय हैं, और आप हमेशा सत्य की रक्षा करते हैं।

तीसरा श्लोक:

हे राम, आप एक आदर्श राजा हैं, और आप एक आदर्श पुत्र हैं। आप एक आदर्श पति हैं, और आप एक आदर्श भाई हैं।

श्रीरामष्टकम् एक शक्तिशाली और प्रेरणादायक स्तोत्र है जो सभी को प्रभावित कर सकता है। यह एक ऐसा स्तोत्र है जो मनुष्य को भगवान राम के प्रेम और करुणा से जोड़ता है।

श्रीरामष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • यह एक स्तोत्र है जो भगवान राम की स्तुति करता है।
  • यह श्रीधर स्वामी द्वारा रचित है।
  • यह अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों में पढ़ा जाता है।
  • यह कई हिंदू द्वारा रोजाना आध्यात्मिक लाभों के लिए जपा जाता है।
  • यह भगवान राम के कई दिव्य गुणों का वर्णन करता है।
  • यह उनकी भूमिका को भी उजागर करता है कि वह अच्छे की रक्षा करते हैं और बुराई का नाश करते हैं।

श्रीरामष्टकम् एक शक्तिशाली और प्रेरणादायक स्तोत्र है जो सभी को प्रभावित कर सकता है। यह एक ऐसा स्तोत्र है जो मनुष्य को भगवान राम के प्रेम और करुणा से जोड़ता है।

यहां श्रीरामष्टकम् का संस्कृत पाठ दिया गया है:

श्रीरामष्टकम्

चिदाकारो धाता परमसुखद: पावनतनुर्मुनीन्द्रैर्योगीन्द्रैर्यतिपतिसुरेन्द्रैर्हनुमता सदा सेव्य: पूर्णो जनकतनयांग सुरगुरु रमानाथो रामो रमतु मम चित्ते तु सततम्

॥ इति श्रीधरस्वामीविरचितं श्रीरामष्टकं समाप्तम् ॥

इस स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

श्री रामचंद्र स्तुति

हे राम, आप चेतना के स्रोत हैं, आप ब्रह्मांड के निर्माता हैं, आप सभी को सुख देते हैं, और आप पवित्र हैं।

आप मुनियों, योगियों, राजाओं, और देवताओं द्वारा पूजे जाते हैं, और हनुमान आपके भक्त हैं।

आप हमेशा पूजे जाने योग्य हैं, आप पूर्ण हैं, आप जनक के पुत्र हैं, और आप देव गुरु हैं।

हे राम, आप मेरे हृदय में निवास करें, और हमेशा मुझे आनंद प्रदान करें।


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