• Version
  • Download 749
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् एक संस्कृत श्लोकों का संग्रह है जो राधा के रूप, गुणों, और प्रेम की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के संत और कवि, हरिदास भट्ट गोस्वामी द्वारा रचित किया गया था।

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् की शुरुआत राधा के रूप की प्रशंसा से होती है। श्लोकों में, राधा को एक दिव्य और सुंदर रूप में चित्रित किया गया है। वह गोरा, सुंदर, और आकर्षक है।

श्लोकों में, राधा के गुणों का भी वर्णन किया गया है। राधा दयालु, करुणामय, और प्रेममय है। वह सभी के लिए एक आदर्श है।

श्लोकों में, राधा के प्रेम का वर्णन किया गया है। राधा का प्रेम अनन्य और अडिग है। वह कृष्ण के लिए सब कुछ त्यागने के लिए तैयार है।

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् एक लोकप्रिय भक्ति ग्रंथ है। यह अक्सर राधा के रूप, गुणों, और प्रेम की महिमा का वर्णन करने के लिए पढ़ा जाता है।

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • श्लोक 1:

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् जय जय राधेयै नन्दनन्दिन्यै कृष्णप्रियायै नमो नमः। राधेयै वृन्दावनीये नमो नमः नमः नमः॥

अर्थ:

जय जय राधे, हे नन्दनन्दिनी, हे कृष्णप्रिया, तुम्हें मेरा नमस्कार। हे राधे, जो वृंदावन में निवास करती हैं, तुम्हें मेरा नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार।

  • श्लोक 2:

राधेयै गोपिकेन्द्रिणी कृष्णप्रियायै नमो नमः। राधेयै चन्द्रमुख्यै नमो नमः नमः नमः॥

अर्थ:

हे राधे, जो गोपिकाओं की अधिपति हैं, हे कृष्णप्रिया, तुम्हें मेरा नमस्कार। हे राधे, जिनका मुख चंद्रमा के समान है, तुम्हें मेरा नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार।

  • श्लोक 3:

राधेयै मधुरसरोजिनी कृष्णप्रियायै नमो नमः। राधेयै वृन्दावनीये नमो नमः नमः नमः॥

अर्थ:

हे राधे, जो मधुर सरोवर की तरह हैं, हे कृष्णप्रिया, तुम्हें मेरा नमस्कार। हे राधे, जो वृंदावन में निवास करती हैं, तुम्हें मेरा नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार।

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् एक शक्तिशाली भक्ति ग्रंथ है जो राधा के रूप, गुणों, और प्रेम की महिमा का वर्णन करता है। यह एक ऐसा ग्रंथ है जो भक्तों को ज्ञान, प्रेम, और मुक्ति प्रदान कर सकता है।

श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् के रचनाकार, हरिदास भट्ट गोस्वामी, एक विख्यात संत और कवि थे। वे 17वीं शताब्दी में भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के निवासी थे। हरिदास भट्ट गोस्वामी ने कई भक्ति ग्रंथों की रचना की, जिनमें श्रीराधाशट्‍ोतराष्टकस्तोत्रम् भी शामिल है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *