• Version
  • Download 771
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated October 9, 2023

श्रीराधावराष्टकम् एक संस्कृत श्लोकों का संग्रह है जो राधा और कृष्ण के प्रेम की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के संत और कवि, नंददास द्वारा रचित किया गया था।

श्रीराधावराष्टकम् की शुरुआत राधा और कृष्ण के प्रेम की प्रशंसा से होती है। श्लोकों में, राधा और कृष्ण के प्रेम को सर्वोच्च प्रेम माना गया है। यह प्रेम अनन्य और अडिग है।

श्लोकों में, राधा और कृष्ण के प्रेम के कई पहलुओं का वर्णन किया गया है। राधा और कृष्ण का प्रेम एक आध्यात्मिक प्रेम है जो भक्तों को ज्ञान और मुक्ति प्रदान कर सकता है। राधा और कृष्ण का प्रेम एक शारीरिक प्रेम भी है जो भक्तों को आनंद और सुख प्रदान कर सकता है।

श्रीराधावराष्टकम् एक लोकप्रिय भक्ति ग्रंथ है। यह अक्सर राधा और कृष्ण के प्रेम की महिमा का वर्णन करने के लिए पढ़ा जाता है।

श्रीराधावराष्टकम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • श्लोक 1:

राधिका कृष्णाम्बुजयोः प्रेमं कथं न वर्णयेत्। प्रेमेण तौ द्रवन्तौ सदा हृदये वसन्तौ॥

अर्थ:

राधा और कृष्ण के प्रेम को कैसे वर्णन किया जाए? वे प्रेम में बहते हैं और हमेशा हृदय में निवास करते हैं।

  • श्लोक 2:

कृष्णे राधा वन्दते राधे कृष्णं वन्दते। वन्दे तौ परस्परं प्रेमेण युगलं शुभम्॥

अर्थ:

कृष्ण राधा की वंदना करते हैं, और राधा कृष्ण की वंदना करती हैं। मैं उन दोनों को प्रेम में युगल के रूप में वंदित करता हूं।

  • श्लोक 3:

कृष्णे राधा प्रेमेण क्रीडादिकं वृन्दावने। भक्तास्ते सुखं लभन्ते कृष्णराधा नामेण॥

अर्थ:

कृष्ण और राधा प्रेम में वृंदावन में क्रीड़ा करते हैं। उनके भक्त कृष्णराधा नाम से सुख प्राप्त करते हैं।

श्रीराधावराष्टकम् एक शक्तिशाली भक्ति ग्रंथ है जो राधा और कृष्ण के प्रेम की महिमा का वर्णन करता है। यह एक ऐसा ग्रंथ है जो भक्तों को ज्ञान, प्रेम, और मुक्ति प्रदान कर सकता है।

श्रीराधावराष्टकम् के रचनाकार, नंददास, एक विख्यात संत और कवि थे। वे 16वीं शताब्दी में भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के निवासी थे। नंददास ने कई भक्ति ग्रंथों की रचना की, जिनमें श्रीराधावराष्टकम् भी शामिल है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *