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- Create Date October 9, 2023
- Last Updated October 9, 2023
श्रीराधाकृष्णस्तुति भगवान श्रीकृष्ण और उनकी अर्धांगिनी श्रीराधा की स्तुति करने वाला एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र संस्कृत में लिखा गया है और इसमें दस श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त भगवान श्रीकृष्ण की प्रशंसा करते हैं और उन्हें प्रणाम करते हैं। फिर, भक्त श्रीराधा की सुंदरता और गुणों का वर्णन करते हैं। अंत में, भक्त भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
श्रीराधाकृष्णस्तुति के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक इस प्रकार हैं:
- पहला श्लोक: इस श्लोक में, भक्त भगवान श्रीकृष्ण की प्रशंसा करते हैं और उन्हें प्रणाम करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण नवघनश्याम हैं, अर्थात् उनके बाल काले और घने हैं। वे पीतांबर पहनते हैं और उनके चेहरे पर आनंद और सुंदरता है।
- दूसरा श्लोक: इस श्लोक में, भक्त श्रीराधा की सुंदरता और गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि श्रीराधा भगवान श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी हैं और उनकी प्रेमिका हैं। वे बहुत सुंदर हैं और उनके पास कई गुण हैं।
- तीसरा श्लोक: इस श्लोक में, भक्त भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि अगर उन्हें भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की कृपा प्राप्त हो जाती है, तो वे इस जीवन में मुक्त हो जाएंगे और मोक्ष प्राप्त कर लेंगे।
श्रीराधाकृष्णस्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा के भक्त हैं।
श्रीराधाकृष्णस्तुति का पाठ करने के लाभ इस प्रकार हैं:
- यह भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा के करीब लाता है।
- यह भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
- यह भक्तों को शांति और आनंद प्रदान करता है।
- यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
श्रीराधाकृष्णस्तुति का पाठ करने के लिए, भक्त एक शांत और साफ जगह पर बैठ सकते हैं। वे अपने मन को शांत कर सकते हैं और भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। फिर, वे स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। स्तोत्र का पाठ करने से पहले और बाद में, भक्त भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा को प्रणाम कर सकते हैं।
श्रीराधाकृष्णस्तुति का पाठ करने के लिए एक श्लोक इस प्रकार है:
जय जय जय श्रीकृष्णचन्द्र कृपालु भजमन, नन्दनन्दन सुन्दरम्। अशरण शरण भवभय हरण, आनन्द घन राधा वरम्।
इस श्लोक का अर्थ है:
हे कृपालु भगवान श्रीकृष्ण, आपको जय हो, जय हो, जय हो। आप नन्दनन्दन और सुन्दर हैं। आप भवभय हरण हैं, अर्थात् आप भवसागर से पार लगाने वाले हैं। आप आनन्द घन हैं, अर्थात् आप आनंद के सागर हैं। आप राधा के वर हैं, अर्थात् आप राधा के प्रिय हैं।
श्रीराधाकृष्णस्तुति एक सुंदर और प्रभावशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा के प्रेम में डूबने में मदद कर सकता है।
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