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  • Create Date November 7, 2023
  • Last Updated November 7, 2023

श्रीमुकुंदस्मरणाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की भक्ति में रचित है। इसे 17वीं शताब्दी के कवि श्रीधर भट्टाचार्य ने लिखा था।

स्तोत्र में, कवि भगवान कृष्ण के बाल्यकाल के चरित्र और लीलाओं का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण के बाल्यकाल के दर्शन से मन को शांति और आनंद मिलता है।

स्तोत्र का अनुवाद इस प्रकार है:

shreemukundasmaranaashtakam

  • श्लोक 1:

हे भगवान कृष्ण! आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन को शांति और आनंद मिलता है। आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।

  • श्लोक 2:

आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है। आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन सभी सांसारिक इच्छाओं से मुक्त हो जाता है।

  • श्लोक 3:

आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन सभी भ्रमों से मुक्त हो जाता है। आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन सभी ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

  • श्लोक 4:

आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन सभी मोक्ष प्राप्त कर लेता है। आपके बाल्यकाल के दर्शन से मन भगवान कृष्ण के साथ एक हो जाता है।

श्रीमुकुंदस्मरणाष्टकम् एक शक्तिशाली भक्ति मंत्र है। इसका पाठ करने से मन को शांति और आनंद मिलता है। यह स्तोत्र अक्सर मंदिरों और घरों में गाया और पढ़ा जाता है।

श्रीमुकुंदस्मरणाष्टकम् के श्लोक इस प्रकार हैं:

श्रीमुकुंदस्मरणाष्टकम्

  1. भवान् बाल्यरूपे, श्रीकृष्ण नन्दनः। तस्य दर्शनाद्, मनः शान्तं भवेत्।।

  2. तस्य दर्शनाद्, मनः बन्धनात् मुक्तम्। तस्य दर्शनाद्, मनः कामात् मुक्तम्।।

  3. तस्य दर्शनाद्, मनः भ्रान्त्यात् मुक्तम्। तस्य दर्शनाद्, मनः ज्ञानं लभते।।

  4. तस्य दर्शनाद्, मनः मोक्षं लभते। तस्य दर्शनाद्, मनः ईश्वरेण एकम्।।

श्रीमुकुंदस्मरणाष्टकम् के पाठ करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • यह मन को शांति और आनंद प्रदान करता है।
  • यह भक्ति और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है।
  • यह भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

यदि आप भगवान कृष्ण की भक्ति में हैं, तो श्रीमुकुंदस्मरणाष्टकम् का पाठ करना एक अच्छा तरीका है।

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