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  • Create Date October 24, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीमृर्तंड़भैरवस्तोत्रम् एक स्तोत्र है जो भगवान शिव के एक रूप, मृर्तंड़भैरव की स्तुति करता है। मृर्तंड़भैरव भगवान शिव के एक उग्र रूप हैं, जो मृत्यु और विनाश के देवता हैं।

स्तोत्र का प्रारंभ भगवान मृर्तंड़भैरव की स्तुति से होता है। भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव से अपनी रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है:

श्रीमृर्तंड़भैरवस्तोत्रम्

अथ श्रीमृर्तंड़भैरवस्तोत्रम्

नमस्ते मृर्तंड़भैरवाय। नमस्ते सर्वभूताधिपतये। नमस्ते कालरूपिणे। नमस्ते सर्वशत्रुविनाशकाय। नमस्ते सर्वरोगनिवारकाय। नमस्ते सर्वपापनाशकाय। नमस्ते सर्वसुखप्रदायकाय। नमस्ते सर्वसिद्धिप्रदायकाय।

अर्थ:

हे मृर्तंड़भैरव, हे सर्वभूतों के स्वामी, हे कालरूप, हे सभी शत्रुओं का नाश करने वाले, हे सभी रोगों को दूर करने वाले, हे सभी पापों को नष्ट करने वाले, हे सभी सुखों को प्रदान करने वाले, हे सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले,

मैं तुम्हारी स्तुति करता हूँ।

श्रीमृर्तंड़भैरवस्तोत्रम् की रचना किसने की है, यह ज्ञात नहीं है। यह स्तोत्र प्राचीन काल से ही प्रचलित है, और इसे कई संतों और आचार्यों ने प्रतिपादित किया है।

स्तोत्र का अर्थ:

पहला श्लोक:

नमस्ते मृर्तंड़भैरवाय।

हे मृर्तंड़भैरव!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव को नमस्कार करते हैं।

दूसरा श्लोक:

नमस्ते सर्वभूताधिपतये।

हे सर्वभूतों के स्वामी!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव को सभी प्राणियों के स्वामी के रूप में नमस्कार करते हैं।

तीसरा श्लोक:

नमस्ते कालरूपिणे।

हे कालरूप!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव को काल के रूप में नमस्कार करते हैं।

चौथा श्लोक:

नमस्ते सर्वशत्रुविनाशकाय।

हे सभी शत्रुओं का नाश करने वाले!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव से अपने सभी शत्रुओं का नाश करने की प्रार्थना करते हैं।

पांचवां श्लोक:

नमस्ते सर्वरोगनिवारकाय।

हे सभी रोगों को दूर करने वाले!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव से अपने सभी रोगों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

छठा श्लोक:

नमस्ते सर्वपापनाशकाय।

हे सभी पापों को नष्ट करने वाले!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव से अपने सभी पापों को नष्ट करने की प्रार्थना करते हैं।

सातवां श्लोक:

नमस्ते सर्वसुखप्रदायकाय।

हे सभी सुखों को प्रदान करने वाले!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव से सभी सुखों को प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

आठवां श्लोक:

नमस्ते सर्वसिद्धिप्रदायकाय।

हे सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले!

इस श्लोक में, भक्त भगवान मृर्तंड़भैरव से सभी सिद्धियों को प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

श्रीमृर्तंड़भैरवस्तोत्रम् एक शक्तिशा


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