• Version
  • Download 129
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 24, 2023
  • Last Updated October 24, 2023

श्रीमृकण्डेश्वरेशस्तव एक स्तुति है जो भगवान शिव के एक रूप, मृकण्डेश्वर की स्तुति करती है। मृकण्डेश्वर भगवान शिव का एक लिंग रूप है, जो काशी में स्थित है।

स्तुति का प्रारंभ भगवान मृकण्डेश्वर की स्तुति से होता है। भक्त भगवान मृकण्डेश्वर से अपनी रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

स्तुति का पाठ इस प्रकार है:

श्रीमृकण्डेश्वरेशस्तव

अथ श्रीमृकण्डेश्वरेशस्तव

नमस्ते रुद्राय शम्भवाय। नमस्ते सर्वात्मने। नमस्ते शिवाय त्रिलोचनाय। नमस्ते भवाय सर्वभूतनाथाय। नमस्ते कपाली महाकालाय। नमस्ते नीलकंठाय श्मशानवासाय। नमस्ते सर्वदेवानां पतिपतये। नमस्ते मृकण्डेश्वराय।

अर्थ:

हे रुद्र, हे शम्भू, हे सर्वात्म, हे शिव, हे त्रिलोचन, हे भव, हे सर्वभूतनाथ, हे कपाली, हे महाकाल, हे नीलकंठ, हे श्मशानवासी, हे सर्वदेवों के पति, हे मृकण्डेश्वर,

मैं तुम्हारी स्तुति करता हूँ।

श्रीमृकण्डेश्वरेशस्तव की रचना किसने की है, यह ज्ञात नहीं है। यह स्तुति प्राचीन काल से ही प्रचलित है, और इसे कई संतों और आचार्यों ने प्रतिपादित किया है।

स्तुति का अर्थ:

पहला श्लोक:

नमस्ते रुद्राय शम्भवाय।

हे रुद्र, हे शम्भू!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को उनके उग्र रूप में नमस्कार करते हैं।

दूसरा श्लोक:

नमस्ते सर्वात्मने।

हे सर्वात्म!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को सर्वव्यापी आत्मा के रूप में नमस्कार करते हैं।

तीसरा श्लोक:

नमस्ते शिवाय त्रिलोचनाय।

हे शिव, हे त्रिलोचन!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को उनके तीन नेत्रों के रूप में नमस्कार करते हैं।

चौथा श्लोक:

नमस्ते भवाय सर्वभूतनाथाय।

हे भव, हे सर्वभूतनाथ!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को सृष्टिकर्ता के रूप में नमस्कार करते हैं।

पांचवां श्लोक:

नमस्ते कपाली महाकालाय।

हे कपाली, हे महाकाल!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को उनके उग्र रूप में नमस्कार करते हैं।

छठा श्लोक:

नमस्ते नीलकंठाय श्मशानवासाय।

हे नीलकंठ, हे श्मशानवासी!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को उनके शांतिपूर्ण रूप में नमस्कार करते हैं।

सातवां श्लोक:

नमस्ते सर्वदेवानां पतिपतये।

हे सर्वदेवों के पति!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव को सभी देवताओं के स्वामी के रूप में नमस्कार करते हैं।

आठवां श्लोक:

नमस्ते मृकण्डेश्वराय।

हे मृकण्डेश्वर!

इस श्लोक में, भक्त भगवान शिव के मृकण्डेश्वर रूप को नमस्कार करते हैं।

श्रीमृकण्डेश्वरेशस्तव एक शक्तिशाली स्तुति है जो भक्तों को कई लाभ प्रदान कर सकती है। यदि आप इस स्तुति का जाप करना चाहते हैं, तो किसी योग्य गुरु से मार्गदर्शन लेना उचित है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *